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नेम प्लेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संत व धर्माचार्य असंतुष्ट : कार्ष्णि नागेंद्र महाराज

सुप्रीम कोर्ट ने नेम प्लेट को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है

नेम प्लेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संत व धर्माचार्य असंतुष्ट : कार्ष्णि नागेंद्र महाराज
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मथुरा। सुप्रीम कोर्ट ने नेम प्लेट को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश रोकने के बाद वृंदावन के धर्माचार्य कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने कहा कि नेम प्लेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है, उसको लेकर हम सनातन संत और धर्माचार्य दुखी हैं। सुप्रीम कोर्ट को इस बात को भी संज्ञान में लेना चाहिए था कि भारत सनातन, राम-कृष्ण और हिंदुओं का देश है। यहां व्रत अनुष्ठान शास्त्रीय सनातन संस्कृति की परंपरा का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में शुचिता खराब नहीं होनी चाहिए, क्योंकि आए दिन यह देखने में आता है कि फलों में थूक लगाया जाता है, मूत्र इत्यादि के साथ आटा गूंथते हैं। इस प्रकार के कार्यों से हमारी पवित्रता को नष्ट किया जाता है।

उन्होंने नेम प्लेट पर सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि, स्वच्छता व पवित्रता के नजरिए से यह निर्णय बहुत स्वागत योग्य था। सुप्रीम कोर्ट को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

कोर्ट के आदेश के बाद अब कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के लिए नेम प्लेट लगाने की बाध्यता नहीं होगी। यूपी सरकार ने सबसे पहले आदेश जारी कर इन दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का आदेश जारी किया था। उसके बाद ऐसा ही आदेश उत्तराखंड सरकार ने भी जारी किया।

राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, राज्य में सभी खाद्य पदार्थों की दुकानों, भोजनालयों, ढाबों आदि के मालिकों/प्रोपराइटरों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने वाली "नेम प्लेट" लगाना अनिवार्य था।


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