लाल कप्तान फिल्म रिव्यू : नागा साधु के रोल में सैफ ने किया शानदार अभिनय
इस सप्ताह कम बजट की कई फिल्में रिलीज़ हुई, क्योंकि अगले सप्ताह दीपावली पर तीन बड़ी फिल्में जैसे हाउसफुल 4, मेड इन चाइना और सांड की आँख रिलीज़ हो रही

इस सप्ताह कम बजट की कई फिल्में रिलीज़ हुई, क्योंकि अगले सप्ताह दीपावली पर तीन बड़ी फिल्में जैसे हाउसफुल 4, मेड इन चाइना और सांड की आँख रिलीज़ हो रही है। इस सप्ताह बॉलीवुड की तीन फिल्मे आयी जिसमे पहली निर्देशक नवदीप सिंह की फिल्म "लाल कप्तान" जिसमे सैफ अली खान, सोनाक्षी सिन्हा, दीपक डोबरियाल, मानव विज और जोया हुसैन जैसे कलाकार है, दूसरी निर्देशक बंटी दुबे की फिल्म "जैकलिन आई एम कमिंग" जिसमें रघुवीर यादव और दीवा धनोया है और तीसरी फिल्म निर्देशक ओवैस खान की "यारम" जिसमें प्रतीक बब्बर, सिद्धांत कपूर, इशिता राज, शुभा राजपूत और दिलीप ताहिल जैसे कलाकार है। इसी के साथ एक हॉलीवुड की फिल्म "मलेफिसेंट मिस्ट्रेस ऑफ ईविल"भी रिलीज़ हुई जिसमें ऐंजिलिना जोली, सैम रिले, एल फैनिंग और हैरिस डिकिंसन है। सबसे पहले बात करते है फिल्म "लाल कप्तान" की।
इस सप्ताह रिलीज़ फिल्मों में किसी बड़े स्टार की बात करते है तो सैफ अली खान का नाम आता है और सैफ काफी समय बाद किसी फिल्म में नज़र आये है, लेकिन इस फिल्म से उनकी लाइफ में कोई बदलाव नहीं आ सकता क्योंकि इस फिल्म की पब्लिसिटी न के बराबर हुई है। लेकिन तारीफ करनी होगी सैफ अली खान की जिन्होंने एक नागा साधु का किरदार इस फिल्म में निभाया है और कोई भी बड़ा स्टार इस किरदार को करने में ज़रूर झिझकेगा। नागा साधुओं का खौफ हर इंसान के दिलों दिमाग में रहता है की नागा को नाराज़ करने का मतलब अपने ऊपर भारी कष्टों का आना है क्योकि उनके मुँह से निकले हुए शब्द तुरंत ही असर करते है चाहे वो अच्छे हो या बुरे, ऐसा लोगो का मानना है। फिल्म की कहानी बुंदेलखंड की है जिसमें 18वीं सदी में नागा साधुओं का बोल बाला था उसी कहानी को लेकर निर्देशक ने इस फिल्म का निर्माण किया है। फिल्म में सैफ अली खान गोसांई के किरदार में है जो अपना बदला लेना चाहता है मानव विज यानि रहमत खान से जिसनें उसके साथ नइंसाफ़ी की है, जिसकी वजह से उसका पूरा परिवार ही बिखर गया। गोसांई दुनियां से छिपकर अपने मक़सद को पूरा करता है और वो अपना बदला ले पता है या नहीं यह फिल्म देखकर पता चलेगा। निर्देशक नवदीप सिंह ने इस फिल्म को एक सीरियल ड्रामा बनाया है जिसमे वो अच्छे से रिसर्च नहीं कर पाए क्योकि इस फिल्म को और बेहतर बनाया जा सकता था लेकिन इस फिल्म में एक्शन काफी अच्छे है और कई जगह कॅमेराग्राफी ने तो कमाल ही कर दिया है। सैफ अली खान का लुक नागा के रूप में काफी इम्प्रेसिव लग रहा है और उनकी बॉडी लैंग्वेज उस किरदार को और भी प्रभावी बनाती है। फिल्म में दीपक डोबरियाल भी अपने किरदार से काफी जगह प्रभावित करते है। सोनाक्षी का इस फिल्म में छोटा सा केमियो है।
आजकल एक अलग तरह की लव स्टोरी चल रही है जिसको दर्शक बहुत पसंद करते है यह फिल्म भी उसी कैटेगरी में आती है इसमें काशी तिवारी यानि रघुवीर यादव और जैकलीन यानि दीवा धनोया की जबरदस्त केमिस्ट्री नज़र आती है जो दर्शकों को बांध सकती है और जहाँ तक एक्टिंग की बात करें तो इस सप्ताह जितनी भी रिलीज़ फिल्मे है उनमे से रघुवीर यादव ने जबरदस्त एक्टिंग की है। जहाँ तक फिल्म की कहानी की बात है काशी तिवारी एक चालीस साल का सरकारी कर्मचारी है जो आगरा में अपनी जिंदगी अकेले बसर कर रहा है उसकी ज़िन्दगी में कोई भी नहीं है लेकिन एक दिन चर्च की तरफ जाते हुए उसकी नज़र जैकलिन पर पड़ती है जिसे देखते ही उसके दिल में प्यार जागृत हो जाता है और दिल ही दिल में वो उसे चाहने लग जाता है लेकिन दिल की बात उसके दिमाग में इस तरह असर कर जाती है की वो जैकलिन से शादी करने का मन बना लेता है और शादी भी कर लेता है। जैकलिन के साथ वो अपनी सपनों की दुनियाँ और असल ज़िन्दगी का मज़ा लेने लग जाता है लेकिन एक दिन उसे पता चलता है की जैकलिन एक मानसिक बीमारी से ग्रसित है और मजबूरन उसे मेन्टल हॉस्पिटल भेज दिया जाता है लेकिन वो उसके बिना नहीं रह पाता और किसी तरह से लड़ झगड़कर को उसे वापिस घर ले आता है। इस जद्दोजेहद में उसके प्यार की एक परीक्षा भी हो जाती है और वो जैकलिन के साथ अपनी जिंदगी गुजारता है, इस मानसिक बीमारी के कारण उसे बहुत कुछ झेलना पड़ता है जिसके लिए वो कभी परेशान नहीं होता। फिल्म में रघुवीर की एक्टिंग ज़बरदस्त है और एक अधेड़ उम्र की लव स्टोरी को निर्देशक ने बहुत ही ख़ूबसूरती से निभाया है। जो अच्छी एक्टिंग देखने के शौकीन है वो यह फिल्म देख सकते है। फिल्म कहीं कहीं हंसाती है तो कई जगह आपको इमोशनल भी कर जाती है। दीवा धनोया काफी खूबसूरत लगी है। एक बेहतरीन और प्यारी लवस्टोरी अगर आप देखना चाहते है तो यह फिल्म आपके लिए है।
कुलमिलाकर इस सप्ताह जितनी भी रिलीज़ फिल्में हुई है उसमे इन दोनों ही फिल्मों को देखा जा सकता है क्योकि यह फिल्में मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन में एक या दो शोज में ही लगी है, और जिनको दिवाली की तैयारी करनी है वो इन फिल्मों से बच सकते है।
फिल्म समीक्षक
सुनील पाराशर


