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एनडीए के बुलावा नहीं आने के बाद सहनी ने बदली रणनीति, अब 100 दिवसीय निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के केंद्र सरकार द्वारा 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा मिलने के बाद चर्चा ने जोर पकड़ ली थी सहनी की नजदीकियां एनडीए से बढ़ गई हैं

एनडीए के बुलावा नहीं आने के बाद सहनी ने बदली रणनीति, अब 100 दिवसीय निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा
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पटना। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के केंद्र सरकार द्वारा 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा मिलने के बाद चर्चा ने जोर पकड़ ली थी सहनी की नजदीकियां एनडीए से बढ़ गई हैं। इस बीच एनडीए की बैठक में वीआईपी को बुलावा नहीं आने के बाद सहनी ने अपनी रणनीति बदली है।

पिछले कई महीनों से शांत बैठे सहनी अब फिर से सक्रिय नजर आने लगे हैं। सहनी मंगलवार से निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा पर निकल रहे हैं। सहनी ने इसकी घोषणा करते हुए यहां तक कह दिया कि बुलावा या न्योता दोस्त को दिया जाता है, दुश्मन को नहीं दिया जाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि सबको मालूम है कि किसने मेरी पार्टी तोड़ी, किसने मेरे विधायकों को खरीदा। इस बयान के बाद साफ है कि सहनी एनडीए की बैठक में नहीं बुलाए जाने से नाराज हैं और 100 दिनों की इस यात्रा के दौरान उनके निशाने पर भाजपा ही रहेगी। कुछ लोग इसे दबाव की सियासत भी बता रहे हैं।

इस बीच सहनी की पार्टी वीआईपी मंगलवार को पटना में भव्य तरीके से वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस मनाने जा रही है। इस दौरान सहनी अपनी 100 दिवसीय निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा पर भी निकलेंगे। सहनी की यात्रा के लिए अत्याधुनिक सुविधा से लैस एक विशेष वाहन तैयार करवाया गया है।

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि यह यात्रा चार नवंबर तक चलेगी। इस यात्रा की शुरुआत पटना से होगी जबकि 26 जुलाई को यह यात्रा मोकामा और 27 जुलाई को पाली में होगी। 29 जुलाई को यह यात्रा वैशाली और 30 जुलाई को मुजफ्फरपुर में रहेगी।

उन्होंने कहा कि छुट्टी के दिन यानी किसी पर्व -त्योहार के दौरान यात्रा स्थगित रहेगी। यात्रा बिहार के अलावा यूपी और झारखंड भी जाएगी। यात्रा के दौरान प्रतिदिन दो जनसभा और पांच से छह नुक्कड़ सभाओं को पूर्व मंत्री सहनी संबोधित करेंगे। इस अभियान के तहत गांव-गांव में वीआईपी के कार्यकर्ता और नेता यात्रा करेंगे। वो निषाद समाज से साथ मुलाकात करेंगे और 'आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं, गठबंधन नहीं तो वोट नहीं' की बात जन-जन तक पहुंचाएंगे।


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