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मदर्स डे पर सचिन ने फ्रंटलाइन वॉरियर्स मांओं को किया सलाम

सचिन तेंदुलकर देश में हजारों लोगों के लिए एक आदर्श हो सकते हैं, लेकिन सचिन ने बताया कि इसके पीछे उनकी मां का हाथ हैं, जिन्होंने उन्हें एक सफल क्रिकेटर बनाने के लिए न जाने कितनी कुर्बानी दी हैं।

मदर्स डे पर सचिन ने फ्रंटलाइन वॉरियर्स मांओं को किया सलाम
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मुंबई | महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर देश में हजारों लोगों के लिए एक आदर्श हो सकते हैं, लेकिन सचिन ने बताया कि इसके पीछे उनकी मां का हाथ हैं, जिन्होंने उन्हें एक सफल क्रिकेटर बनाने के लिए न जाने कितनी कुर्बानी दी हैं। इस मदर्स डे के अवसर पर सचिन ने कोरोना के फ्रंटलाइन वॉरियर्स जो माताएं हैं उनसे बात की है। सचिन ने उनके प्रयास और बलिदान को देश के लिए अहम बताया है।

सचिन ने इस अवसर पर कहा, " ये बहुत ही खराब समय है जब मांएं अपने बच्चों के साथ नहीं रह सकतीं। मैं इस प्लेटफार्म के जरिए उन सभी को धन्यवाद कहना चाहूंगा।"

उन्होंने कहा, "मैं इस दौर में एक सवाल पूछना चाहूंगा कि जब आपको अपने परिवार के साथ पर्याप्त समय मिल रहा है तो बिताए, पर इस मुश्किल की घड़ी में कोरोनावॉरियर्स बिना अपना और खुद के परिवार को ध्यान दिए आपके लिए काम कर रहे हैं। उनमें से कुछ तो अपने घर भी नहीं जाते कि उन्हें संक्रमण न हो जाए। देश को इस वक्त उनके इस प्रयास को सराहना चाहिए।"

सचिन ने कहा, " मुझे याद है जब मैं एक वीडियो देख रहा था जहां एक नर्स मां अपने बच्चे से 20 फीट की दूरी पर खड़ी थी और बच्चा उसके पति के साथ था। बच्चा रो रहा था पर मां उसके पास नहीं जा सकती थी और न तो अपने बच्चे को गले से लगा सकती थी। क्या आपको ये बलिदान समझ आता है। मैं जानता हूं जब वो बच्चा बड़ा होगा तो उसे जरूर समझ आएगा कि उसकी मां ने उसे गले से क्यों नहीं लगाया। हम सबकी तरफ से उन्हें बहुत धन्यवाद।"

महान खिलाड़ी ने आगे कहा, " मेरे क्रिकेट खेलने के लिए मेरी मां ने सपोर्ट किया था। मैं अपना आखिरी मैच मुंबई में खेलना चाहता था और इसके लिए मैंने एन श्रीनिवासन से फोन पर बात की थी। वो मान गए मेरे आखिरी गेम मुंबई में खेलने के लिए, वो भी मेरी मां के सामने।"

उन्होंने कहा, "मेरी मां उस दिन पहली बार स्टेडियम के अंदर गई थी और मेरे लिए वो दिन बहुत बड़ा था क्योंकि मैं चाहता था वो उस दिन देखें कि मैं पिछले 24 साल से क्या कर रहा हूं।"

सचिन ने साथ ही कहा कि जब भी वो किसी दौरे से वापस लौटते थे तो वो अपनी मां के हाथ का ही खाना खाते थे।


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