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कई सामरिक पहलू हैं पुतिन के भारत दौरे के

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दिवसीय दौरे पर आज भारत में रहेंगे.

कई सामरिक पहलू हैं पुतिन के भारत दौरे के
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दिवसीय दौरे पर आज भारत में रहेंगे. मिसाइल सिस्टम की खरीद और अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर बेहतर समन्वय को इस दौरे के केंद्र बिन्दु माना जा रहा है.तिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेताओं के बीच कई सामरिक विषयों पर चर्चा होगी. पुतिन मोदी को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का एक मॉडल भेंट करेंगे जो भारत के रूस से इस सिस्टम की खरीद का एक प्रतीक होगा.

दोनों देश एके-203 असॉल्ट राइफलों के भारत में उत्पादन को लेकर 5,100 करोड़ रुपयों की एक संधि पर भी हस्ताक्षर करेंगे. राइफलें उत्तर प्रदेश के अमेठी में रूसी तकनीक के इस्तेमाल से बनाई जाएंगी.

उच्च स्तरीय बातचीत
पुतिन और मोदी के अलावा 2+2 फॉर्मेट के तहत दोनों देशों के विदेश मंत्री एस जयशंकर और सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सर्गेई शोइगु के बीच भी बातचीत होगी. अभी तक भारत इस फॉर्मेट में सिर्फ क्वॉड समूह के देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के मंत्रियों साथ ही बातचीत करता रहा है.

मंत्रियों की बैठक के बाद मोदी और पुतिन एक दूसरे से निजी स्तर पर बातचीत करेंगे और फिर दोनों नेताओं के बीच भारत-रूस शिखर बैठक होगी. दोनों नेताओं के बीच हर साल इस शिखर बैठक का आयोजन होता है.

2019 में ऐसी बैठक मोदी की रूस यात्रा के दौरान व्लादिवोस्तोक में हुई थी. 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से बैठक नहीं हो पाई थी. यही तक दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच इस तरह की 20 बैठकें हो चुकी हैं.

रिश्तों का संतुलन
पुतिन की भारत यात्रा को कई मायनों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका के भारत के ऊपर प्रतिबंध लगाने का खतरा है, लेकिन इस खतरे के बावजूद दोनों देश इस पर आगे बढ़ रहे हैं.

इसे भारत द्वारा अमेरिका और रूस दोनों से अपने रिश्तों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. अफगानिस्तान को लेकर रूस और भारत की साझेदारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

पुतिन से पहले रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा के लिए भारत आ चुके हैं. इसके अलावा भारत और चीन के बीच करीब डेढ़ साल से बिगड़े हुए रिश्तों को सुधारने में भी रूस की मध्यस्थता की गुंजाइश है.

लद्दाख में भारत और चीन की सीमा पर सैन्य विवाद गहरा जाने के बाद रूस ने भारत और चीन के नेताओं को कई मौकों पर मंच साझा करने का मौका दिया. लद्दाख के कई इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं अभी भी आमने सामने डटी हुई हैं.


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