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ग्रामीण डाकसेवक 4 सूत्रीय, मांगों को लेकर हड़ताल पर

 केंद्रीय नेतृत्व के आव्हान पर देशभर के करीब पौने तीन लाख ग्रामीण डाकसेवक अपनी नियमितीकरण के मांग सहित 4 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं

ग्रामीण डाकसेवक 4 सूत्रीय, मांगों को लेकर  हड़ताल पर
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पिथौरा। केंद्रीय नेतृत्व के आव्हान पर देशभर के करीब पौने तीन लाख ग्रामीण डाकसेवक अपनी नियमितीकरण के मांग सहित 4 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

हड़ताल के दौरान सभी डाक सेवक अपने-अपने मुख्यालय में उपस्थित होकर अपनी मांगों को बुलंद कर रहे हैं। ग्रामीण डाकघरों के बंद हो जाने से चिट्ठी, पत्री सहित पार्सल ,स्पीड पोस्ट का वितरण प्रभावित है।

आजादी के 71 वर्ष के बाद भी ग्रामीण डाक घरों की जिम्मेदारी संभालने वाले डाक सेवकों की सरकार 3 से 5 घंटे की ड्यूटी मानकर टी.आर.सी.ए. देता है जबकि एक-एक पोस्टमैन को 7 से 15 गांव की चि_ी-पत्री बांटनी होती है। सरकार एवं उच्च पदस्थ अधिकारीयों कि डाक सेवकों के प्रति दयालुता नहीं है इन कर्मियों को बैल- भैसों की तरह काम लिया जाता है।

बंधुआ मजदूर से बदतर इनकी हालत है। केंद्र की सरकार अनेक सुविधाओं की घोषणा करती है। ग्रामीण डाक कर्मियों पर कुछ भी लागू नहीं होता है। कमलेश चंद्र कमेटी की रिपोर्ट सरकार को दिए गए एक वर्ष हो गया इसे लागू करने स्वयं सरकार कतरा रही है। जबकि सातवें वेतनमान आयोग के समक्ष ग्रामीण डाक कर्मियों के लिए एक सदस्यीय समिति कर्मियों के लिए ही बनाया गया है। ग्रामीण डाक सेवक गांव-गांव के पेंशन बांटने ,स्कूलों के छात्रवृत्ति बांटने प्रधानमंत्री आवास की राशि बांटने, गैस सब्सिडी की राशि बांटने ,सोसाइटी की सब्सिडी बांटने मांग कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार भी इन मांगों को गौर करते हुए गांव-गांव के जनता को राहत प्रदान करने सुविधाएं ग्रामीण डाक घरों में भी दिए जाने की मांग किया है।

रिकॉर्ड भी दुरुस्त:-

प्रत्येक ग्रामीण डाक घरों का 3-3 महीनों में निरीक्षण विभागीय अधिकारी करते हैं गलती की संभावना कम ही रहता है इसके बाद भी क्यों वंचित किया जाता है सोचने वाली बात है ग्रामीण जनता को लाभ नहीं दिया जा रहा है।


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