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सुशासन के लिए कानून का राज और सुरक्षा पहली शर्त : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी कचहरी के निकट रामआसरे वाटिका में अधिवक्ताओं से संवाद किया

सुशासन के लिए कानून का राज और सुरक्षा पहली शर्त : योगी
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वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को वाराणसी कचहरी के निकट रामआसरे वाटिका में अधिवक्ताओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं ने देश और समाज के लिए खुद को समर्पित किया है। पीएम मोदी अधिवक्ताओं की प्राथमिकता में हैं और अधिवक्ता उनकी प्राथमिकता में हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में अधिवक्ताओं ने प्रैक्टिस रोककर देश को पूरा समय दिया था। उनके मन में नेशन फर्स्ट था। आज मोदी जी भी नेशन फर्स्ट का अभियान लेकर चले हैं। एक तरफ नेशन फर्स्ट तो दूसरी तरफ फैमिली फर्स्ट वाले लोग हैं। आज विरासत, सुरक्षा, सम्मान, विकास और गरीब कल्याण के कार्य हो रहे हैं। हमारा अधिवक्ता समुदाय लड़ते-लड़ते थक जाता था, लेकिन अयोध्या का फैसला नहीं आ पाता था। अब तो वहां मंदिर भी बन गया है। काशी में आप कुछ और भी कर रहे हैं। काशी की देखादेखी अब मथुरा में भी आगाज हो गया है।

सीएम योगी ने कहा कि सुशासन के लिए कानून का राज और सुरक्षा पहली शर्त है। हम एक-दूसरे के पूरक हैं। विधायिका के बनाए गए अधिनियम को अधिवक्ता समुदाय प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने का कार्य करता है। अपनों से पीड़ित व्यक्ति परिवार के सदस्य के कहने पर हस्ताक्षर नहीं करता है, लेकिन अधिवक्ता जहां भी कह दे, वहां हस्ताक्षर कर देता है। आप और आपकी यूनिफॉर्म विश्‍वास का प्रतीक है। पीड़ित को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता सराहनीय और अभिनंदनीय है। गरीब से लेकर समाज के हर तबके को न्याय दिलाने के आपके प्रयास से लाखों लोगों को नया जीवन मिलता है।

सीएम योगी ने कहा कि अधिवक्ता समाज का प्रबुद्ध वर्ग है। इस वर्ग ने देश की ज्वलंत समस्याओं से खुद को कभी अलग नहीं किया, बल्कि चुनौतियों से डटकर मुकाबला करने के लिए सदा अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा। अधिवक्ता समुदाय देश की आजादी की लड़ाई के अग्रिम पंक्ति में था। उन्होंने देश और दुनिया में अच्छी डिग्री ली, लगा कि अधिवक्ता पेशा ही सब कुछ नहीं हो सकता तो अच्छी प्रैक्टिस रखकर देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े, तब आजादी कोसों दूर थी, लेकिन उन्होंने नेशन को फर्स्ट रखा। आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, भीमराव अंबडेकर और मालवीय जी भी अधिवक्ता थे।

उन्होंने बताया कि चौरीचौरा में गोरखपुर के क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी तो उनकी पैरवी के लिए कई घंटों तक मालवीय जी खड़े रहे और कइयों को फांसी के फंदे से बचाया। देश की हर चुनौती के लिए अधिवक्ता समुदाय खड़ा रहा, इसलिए लोकतंत्र के महापर्व में भी अधिवक्ता समुदाय पीछे नहीं रह सकता। दस वर्ष में आपने बदलती काशी, भारत और सात वर्ष में नए उत्तर प्रदेश को देखा है। इसका श्रेय काशीवासियों को जाता है, क्योंकि आपने मोदी जी को प्रतिनिधि चुनकर संसद में भेजा। इस बदलाव का लाभ न केवल काशी, उत्तर प्रदेश, बल्कि देश-दुनिया ले रही है।

--आईएएनएस

विकेटी/एबीएम


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