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बंगाल विधानसभा में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव खारिज होने पर हंगामा

पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार दोपहर को उस वक्त बड़ा हंगामा हुआ

बंगाल विधानसभा में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव खारिज होने पर हंगामा
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार दोपहर को उस वक्त बड़ा हंगामा हुआ, जब विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंद्योपाध्याय ने राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले और हाल ही में हुए मामले पर चर्चा के लिए विपक्षी भाजपा विधायकों द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अध्यक्ष ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला चल रहा है, इसलिए सदन के भीतर इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। अध्यक्ष के फैसले से नाराज भाजपा विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी और वाकआउट किया।

विपक्षी विधायक बाद में विधानसभा परिसर के लॉन में एकत्र हुए और विरोध प्रदर्शन किया।

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मीडियाकर्मियों से कहा, "मामला अदालत में लंबित है, यह विधानसभा के भीतर चर्चा के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का कारण नहीं हो सकता। विपक्ष के लिए इस मुद्दे को उठाने का एकमात्र स्थान सदन ही है।"

अधिकारी ने कहा, "अदालत की टिप्पणियों से संबंधित अंशों से बचते हुए चर्चा आयोजित की जा सकती है। यदि आवश्यक हो, तो अध्यक्ष सदन की कार्यवाही से चर्चा के कुछ हिस्सों को हटा सकते थे। लेकिन स्थगन प्रस्ताव को पूरी तरह नकार देना उचित नहीं है।"

उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि अवैध रूप से भर्ती किए गए उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त शिक्षकों के पद सृजित करने का निर्णय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया था। भाजपा नेता ने कहा, "हम चाहते हैं कि पूरी कैबिनेट सलाखों के पीछे हो।"

25 नवंबर को राज्य के शिक्षा सचिव मनीष जैन ने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ को सूचित किया कि कथित रूप से अवैध रूप से की गई नियुक्तियों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त शिक्षकों के पद सृजित करने का निर्णय राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के आदेश पर राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया था।

अदालत ने सवाल किया कि है अवैध रूप से नियुक्त अपात्र उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल इस तरह का निर्णय कैसे ले सकता है।

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा था, "यदि जरूरी हुआ, तो मैं पूरे राज्य मंत्रिमंडल को मामले में एक पक्ष बनाऊंगा और मंत्रिमंडल के प्रत्येक सदस्य को बुलाऊंगा। मैं उन सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करूंगा।"

उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से तृणमूल कांग्रेस की एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता रद्द करने और उसका लोगो वापस लेने के लिए कहना पड़ सकता है।


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