Top
Begin typing your search above and press return to search.

आरएसएस ने फिर दिए राम मंदिर निर्माण के लिए जन-आंदोलन के संकेत

सरकार पर फिर दबाव बनाते हुए राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 की तरह एक नया जन-आंदोलन शुरू करने के संकेत दिए

आरएसएस ने फिर दिए राम मंदिर निर्माण के लिए जन-आंदोलन के संकेत
X

ठाणे। सरकार पर फिर दबाव बनाते हुए राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 की तरह एक नया जन-आंदोलन शुरू करने के संकेत दिए। आरएसएस महासचिव (सरकार्यवाह) सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, "हमें भरोसा है कि राम मंदिर जल्द बनेगा। हम पहले ही लंबा इंतजार कर चुके हैं और अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कर सकते। अगर जरूरी हुआ तो हम मंदिर के लिए एक जन आंदोलन शुरू करेंगे।"

वह मीडिया के सवाल का जवाब दे रहे थे। भैयाजी जोशी से पूछा गया गया कि अगर अदालत में मामला काफी समय तक लंबित रहा या शीघ्र कानून पारित नहीं हुआ तो आरएसएस का क्या रुख होगा।

उन्होंने अदालत से राम मंदिर जैसे संवेदनशील मामले पर प्राथमिकता के साथ विचार करने का आग्रह किया और भरोसा जताया कि इस संदर्भ में सभी कानूनी बाधाएं जल्द दूर होंगी।

जोशी ने आरएसएस की मांग दोहराई कि सरकार को कानून बनाने या अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय को टाइटल सूट पर अपना निर्णय देना है। उन्होंने कहा कि आरएसएस दिवाली से पहले कुछ अच्छी खबर की उम्मीद कर रहा था, लेकिन अफसोस हुआ कि शीर्ष अदालत ने मामले को 2019 के आरंभ तक के लिए टाल दिया।

उन्होंने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय ने इसे प्राथमिकता का मामला न मानकर मामले में सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दिया, जिससे हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंची है। यह गंभीर वेदना का विषय है।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि अध्यादेश की घोषणा या कानून बनाने का काम सिर्फ सरकार कर सकती है।

सबरीमाला मंदिर विवाद पर जोशी ने कहा कि आरएसएस सभी मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने का पक्षधर है, लेकिन किसी खास मंदिर की रीति-रिवाज व परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

जोशी ने कहा, "हम देवालयों में महिलाओं के साथ भेदभाव का समर्थन नहीं करते। लेकिन, कुछ मंदिरों में प्रतिबंध व नियम बनाए गए हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। समाज का विश्वास है और सभी हितधारकों की धारणाओं पर विचार किया जाना चाहिए। जन-आस्था सर्वोपरि है।"

सुरेश भैयाजी जोशी की यह टिप्पणी भायंदर कस्बे के उट्टन बीच के निकट आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सम्मेलन के तीसरे दिन, समापन पर आई है। विपक्षी पार्टियों का हालांकि कहना है कि तीन राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर आरएसएस धर्म के आधार पर मतों के ध्रुवीकरण के मकसद से फिर 'मंदिर राग' अलाप रहा है, क्योंकि उसे पता है कि जनता भाजपा सरकारों के काम से खुश नहीं है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it