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मप्र में रूठों को मनाने और कसमें खिलाने का दौर

मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनों से ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को खतरा नजर आ रहा है

मप्र में रूठों को मनाने और कसमें खिलाने का दौर
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भोपाल। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनों से ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को खतरा नजर आ रहा है। भितरघात से लेकर बगावत की आशंका जोर पकड़ने लगी है। यही कारण है कि दोनों ही दलों द्वारा रूठांे को मनाने की कवायद जारी है, तो कसमें तक खिलाई जा रही है। भाजपा ने जहां जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का असंतोष खत्म करने के लिए बड़े नेताओं को तैनात किया है, जो जिले स्तर पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं से पहले चर्चा कर चुके हैं तो वह दौर अब भी जारी है। वहीं कांग्रेस की ओर से जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से संवाद करने का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपा गया है।

दिग्विजय सिंह के जिम्मे विधानसभा की वे 66 सीटें हैं, जहां कांग्रेस लंबे अरसे से हारती आ रही है। दिग्विजय यहां पहुंच रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ नेताओं के आपसी मनमुटाव मिटाने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में वे नीमच जिले के जावद विधानसभा क्षेत्र पहुंचे तो दो बड़े नेताओं के बीच आपसी तालमेल न होने की बात उनके सामने आई। ही साथ, बगावत होने की आशंका भी जताई गई।

जावद में ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने सिंह को बताया कि जावद विधानसभा क्षेत्र के दो बड़े स्थानीय नेताओं के आपसी मतभेद की वजह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है, वरना जावद में कांग्रेस कमजोर नहीं है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि इन नेताओं से बतौर निर्दलीय नहीं लड़ने की कसम खिलवाना चाहिए। उसके बाद दोनों नेता सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार अहीर ने मंच पर आकर कसमें खाईं और वादा किया कि वे कांग्रेस के खिलाफ काम नहीं करेंगे और न ही निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे।


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