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कोरोना के समय उच्चतर न्यायपालिका की भूमिका सराहनीय : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को खर्चीली न्यायिक व्यवस्था को आम लोगों तक न्याय की पहुंच में सबसे बड़ा अवरोध करार देते हुए उच्चतम न्यायालय की

कोरोना के समय उच्चतर न्यायपालिका की भूमिका सराहनीय : कोविंद
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को खर्चीली न्यायिक व्यवस्था को आम लोगों तक न्याय की पहुंच में सबसे बड़ा अवरोध करार देते हुए उच्चतम न्यायालय की ओर से आयोजित संविधान दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि खर्चीली न्याय प्रणाली के कारण आम लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है जो सबसे बड़ी समस्या है।

उन्होंने हालांकि कोरोना महामारी के दौरान येन-केन-प्रकारेण न्यायिक व्यवस्था को चालू रखने के लिए न्यायपालिका की सराहना भी की।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात से खुशी है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ई-फाइलिंग जैसे तकनीकी उपायों का उपयोग करके शीर्ष अदालत ने महामारी के बीच भी अपना कामकाज जारी रखा और वह न्याय मुहैया कराती रही। उन्होंने अधिक से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में अपने आदेश उपलब्ध कराने के लिए भी उच्चतर न्यायपालिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

इस अवसर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महामारी के दौरान बाधक परिस्थितियों के बावजूद अपना कामकाज जारी रखने और समय के अनुसार कदम उठाने के लिए न्यायपालिका बधाई का पात्र है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसलों और आदेशों की आलोचना में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल न किये जाने की लोगों से अपील की।

इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि न्यायपालिका ने महामारी के दौरान कड़ी मेहनत की है और सभी नागरिकों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता कायम है। भारत के उच्चतम न्यायालय ने अन्य देशों की अदालतों की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुझाव दिया कि सभी लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के चार कोनों में 15 न्यायाधीशों के साथ चार मध्यवर्ती अपीलीय अदालतें होनी चाहिए।


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