बिहार मंत्रिमंडल के जरिए राजद अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी
बिहार में एक बार फिर से महागठबंधन की सरकार बन गई है

पटना। बिहार में एक बार फिर से महागठबंधन की सरकार बन गई है। वैसे, एनडीए की सरकार हो या महागठबंधन की सरकार हो, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं। इस बीच, महागठबंधन की सरकार में मंगलवार को 31 मंत्रियों ने शपथ ले ली और सरकार ने काम काज भी प्रारंभ कर दिया।
नई सरकार की बात करें तो पुरानी सरकार से जदयू के मंत्रियों में बहुत बड़ा कोई अंतर नहीं है लेकिन राजद ने अपने वोटबैंक (एम-वाई) मुस्लिम-यादव समीकरण को ही साधने की कोशिश की है।
बिहार मंत्रिमंडल में कुल तीन महिलाओं को स्थान दिया गया है जिसमें राजद की अनिता देवी और जदयू की शीला मंडल अति पिछड़ा समाज से आती हैं, तो जदयू की लेसी सिंह राजपूत जाति से आती हैं।
मंत्रिमंडल में देखे तो सबसे अधिक यादव जाति से आने वाले आठ लोग मंत्री बने हैं, जिसमें राजद के सात और जदयू से एक मंत्री हैं। महागठबंधन के मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यकों को भी तरजीह दी गई है। पांच अल्पसंख्यकों को मंत्री बनाया गया है जिसमें राजद से इसराइल मंसूरी, शमीम अहमद और शहनवाज आलम, जदयू से जमा खान तथा कांग्रेस के आफाक आलम हैं।
मंत्रिमंडल में अति पिछड़ों और सवर्ण समुदाय की उपेक्षा की गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भी कहा कि 2020 में 6 अति पिछड़े समाज के मंत्री बने थे जो अब 3 हो गये हैं।
इधर, सुशील मोदी ने भी कहा कि नया मंत्रिमंडल पूरी तरह असंतुलित है। इसमें एम-वाइ समुदाय के 13 मंत्री ( 33 फीसद) हैं, जबकि कानू, तेली, कायस्थ, कलवार, कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन-2 में राजपूत और मैथिल ब्राह्मण मंत्रियों संख्या कम कर दी गयी। शेष जातियों को केवल प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व दिया गया है। कोइरी समाज के केवल दो मंत्री बनाये गए।
इधर, जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में समाज के सभी वर्गो को स्थान दिया है, साथ ही इसमें क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
सवर्ण समुदाय की बात करें तो राजपूत से सबसे ज्यादा तीन मंत्रियों को स्थान दिया गया है, जिसमें राजद और जदयू से एक-एक तथा एक निर्दलीय विधायक हैं। भूमिहार समाज से सिफ दो लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जबकि ब्राह्मण समाज से संजय कुमार झा को मंत्री बनाया गया है।
दलित समुदाय से 6 लोगों को मंत्री बनाया गया है जिसमें राजद और जदयू के दो-दो, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और कांग्रेस के एक-एक मंत्री शामिल हैं।
बहरहाल, देखा जाए तो राजद के नेता तेजस्वी यादव भले ही ए टू जेड की बात कर रहे हों, लेकिन उन्होंने मंत्रिमंडल में अपने वोटबैंक को फिर से साधने की कोशिश की है, जबकि जदयू ने अपने पुराने मंत्रियों को दोहरा कर पार्टी में नए विवाद को जन्म देने से रोकने की कोशिश की है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व में ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं।


