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दरिया का नहीं होता कोई प्राकृतिक बहाव, यमुना ने भी बार-बार बदला है अपना रास्ता

यमुना नदी सैकड़ों वर्ष बाद लालकिले के आसपास उन स्थानों पर पहुंची, जहां वह 16वीं और 17वीं शताब्दी के आसपास तक बहती थी

दरिया का नहीं होता कोई प्राकृतिक बहाव, यमुना ने भी बार-बार बदला है अपना रास्ता
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नई दिल्ली। यमुना नदी सैकड़ों वर्ष बाद लालकिले के आसपास उन स्थानों पर पहुंची, जहां वह 16वीं और 17वीं शताब्दी के आसपास तक बहती थी। हालांकि, इतिहासकार नदियों द्वारा अपना बहाव बदलने को एक स्वाभाविक घटना मानते हैं। देश के प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब के मुताबिक, ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यमुना अपने पुराने और प्राकृतिक बहाव वाले इलाकों में प्रवेश कर गई है।

इरफान हबीब कहते हैं कि यमुना नदी ने इतिहास में कई बार अपना बहाव बदला है। ऐसा नहीं है कि यमुना नदी हमेशा ही लालकिले के पास से होकर गुजरती थी। दरिया ने बार-बार अपने बहाव का क्षेत्र बदला है। उनके मुताबिक, मुगलिया दौर से काफी पहले कभी ऐसा भी समय रहा होगा, जब यमुना लालकिले के आसपास से नहीं गुजरती होगी। तब यमुना नदी के बहाव का क्षेत्र कुछ और ही था।

एक अन्य इतिहासकार दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. रविंद्र सिंह के मुताबिक, सेटेलाइट से मिली तस्वीरों और रिसर्च के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व एक जमाने में यमुना नदी दक्षिण दिल्ली के आसपास बल्लभगढ़ से होकर बहती थी। इतिहासकारों की इन बातों से स्पष्ट होता है कि यमुना अपने सैकड़ों वर्ष पुराने बहाव क्षेत्र में तो पहुंची है, लेकिन यह भी सच है कि यमुना हमेशा ही लालकिले के समीप नहीं थी। इतिहासकारों का कहना है कि बीते सैकड़ों वर्ष में यमुना का क्षेत्र बदल चुकी है और वह लाल किले से कुछ दूरी पर बहती है।

गौरतलब है कि बीते सप्ताह यमुना नदी में अचानक पानी बढ़ने से नदी का बहाव लालकिला, पुरानी दिल्ली के कई इलाकों, सिविल लाइंस समेत उन क्षेत्रों तक जा पहुंचा था, जहां वह 18वीं शताब्दी की शुरुआत तक बहती थी।

इरफान हबीब के मुताबिक, इतिहास में पहले सभी दरिया अपना बहाव क्षेत्र बदलते थे। यमुना नदी भी इसका अपवाद नहीं है और यमुना भी अपना बहाव क्षेत्र बदलती रही है। किसी नदी का कोई 'नेचुरल फ्लो' नहीं होता, वह बार-बार अपने क्षेत्र बदलती है। इतिहासकारों का कहना है कि फिलहाल यमुना नदी में आए अत्‍यधिक पानी के कारण वह लालकिला समेत कुछ ऐसे स्थानों तक पहुंच गई, जहां वह पहले बहती थी। इतिहासकार इसे केवल एक अपवाद के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि यह नदी में छोड़े गए अत्याधिक पानी के कारण हुआ है, क्योंकि पानी को निकलने के लिए रास्ता चाहिए था, ऐसे में वह किनारे तोड़कर शहर के अलग-अलग हिस्सों में घुस गया। यह फिलहाल यह यमुना नदी का कोई प्राकृतिक बहाव नहीं है।

इरफान हबीब के मुताबिक, बीते सैकड़ों वर्षो से यमुना नदी ने अपना रास्ता नहीं बदला है। इसका कारण नदी पर बनाए गए बांध हैं। बांधों के कारण नदी को उसी रास्ते पर बहना होता है, जिस पर उसे ले जाया जाता है। इतिहास के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि मध्यकालीन युग में बांध जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में नदी अपने प्राकृतिक बहाव के साथ बहती थी। लेकिन धीरे-धीरे बांध बनना शुरू हुए, जिससे नदियों का बहाव भी प्रभावित हुआ। नदियों द्वारा अपना बहाव बदलने का एक बड़ा कारण इरफान हबीब भी बताते हैं। उनका कहना है कि नदी बहते समय अपने किनारों पर रेत जमा करती है। काफी समय तक एक स्थान पर रेत जमा होने से नदी के बहाव क्षेत्र लगातार बदलते रहते हैं।


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