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चंबल नदी का जलस्तर घटने से बढ़ी चिंता की लकीरें

मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बहने बाली चंबल नदी का जलस्तर घटने से जलीय जीवों के जीवन को लेकर वन विभाग के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच रही हैं।

चंबल नदी का जलस्तर घटने से बढ़ी चिंता की लकीरें
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मुरैना। मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बहने बाली चंबल नदी का जलस्तर घटने से जलीय जीवों के जीवन को लेकर वन विभाग के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच रही हैं।

चंबल का एक बड़ा हिस्सा मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में पड़ता है, जिसमें विलुप्त प्रायः जलीय जीव घड़ियाल, डॉल्फिन और कछुआ लंबे समय से पल रहे हैं।

वन विभाग सूत्रों के अनुसार हाल ही में देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए सर्वे में पता चला है कि चंबल नदी पर पानी का बहाव इन दिनों 65 क्यूसिक मीटर प्रति सेकंड की गति तक सिमटकर रह गया है, जो आवश्यकता से बहुत कम है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा मौसम को देखते हुये पानी का बहाव कम से कम 100 -106 क्यूसिक मीटर प्रति सेकंड होना चाहिये।सूत्रों के अनुसार चंबल में धीरे-धीरे घट रहे जल स्तर की सर्वे में हकीकत सामने आने के बाद जलीय जीव विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं।
वैज्ञानिकों ने मुरैना वन मण्डलाधिकारी एए अंसारी की मांग पर यह सर्वे किया था। अंसारी के अनुसार नदी के बहाव में कमी आने के बाद इसमें पल रहे विलुप्त प्रायः प्रजाति के जलीय जीवों का जीवन संकट में दिखाई देने लगा है।

चंबल सेंक्चुरी की लंबाई 430 किलोमीटर है।सबसे स्वच्छ नदी माने जाने वाली चंबल में इन दिनों 1255 घड़ियाल, 75 डॉल्फिन और विलुप्त प्रायः प्रजाति के नौ कछुए पल रहे हैं।इससे पूर्व वर्ष 2011 में हुये सर्वे के अनुसार चम्बल के जल का बहाव 75 क्यूसिक मीटर प्रति सेकंड रिकार्ड किया गया था।


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