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माताओं में कोविड संक्रमण से शिशुओं में सांस संबंधी बीमारी का जोखिम

गर्भ में रहने के दौरान कोविड-19 वायरस के संपर्क में आने वाले शिशुओं में सामाजिक कौशल की कमी और बाद में सांस लेने में समस्या होने का खतरा अधिक हो सकता है

माताओं में कोविड संक्रमण से शिशुओं में सांस संबंधी बीमारी का जोखिम
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नई दिल्ली। गर्भ में रहने के दौरान कोविड-19 वायरस के संपर्क में आने वाले शिशुओं में सामाजिक कौशल की कमी और बाद में सांस लेने में समस्या होने का खतरा अधिक हो सकता है। एक अध्ययन में ये बात सामने आई है।

ये अध्ययन ब्रिस्टल विश्वविद्यालय, यूके के शोधकर्ताओं ने किया है। उन्होंने कहा कि "दीर्घकालिक परिणाम" अभी भी पूरी तरह अस्पष्ट बने हुए हैं।

टीम ने सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के साथ या उसके बिना (243) प्रसवपूर्व या नवजात जोखिम वाले बच्चों (96) का अध्ययन किया।

उन्होंने प्रसव से पहले और शिशु के जन्म लेने के बाद सार्स-सीओवी-2 जोखिम को परिभाषित किया। इसमें 14 से 36 सप्ताह के गर्भकाल के बीच के संक्रमण और शिशु के जन्म लेने के 28 दिनों के भीतर माताओं में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण शामिल है।

जर्नल ईक्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि जो बच्चे कोविड संक्रमण के संपर्क में आए, उनमें सामाजिक-भावनात्मक विकास में देरी का खतरा अधिक था। साथ ही उनमें सांस संबंधी लक्षणों का अधिक प्रसार था और उनमें स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत ज्यादा थी।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह बच्चों में बाद में मुश्किल पैदा कर सकता है।

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में नवजात तंत्रिका विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ इला चक्रपानी ने कहा, शिशु अवस्था में सामाजिक-भावनात्मक विकास में देरी के कारण बच्चों की क्षमता और शैक्षणिक सफलता प्रभावित हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने इस जोखिम की पुष्टि करने और इसे और गहराई से समझने के लिए बड़े अध्ययन की जरूरत पर बल दिया है।

इस बीच, डॉ इला ने माता-पिता को सलाह दी है कि अगर वे कोविड के संपर्क में आए हों तो अपने बच्चों के फेफड़ों की कार्यक्षमता के बारे में डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।


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