Top
Begin typing your search above and press return to search.

रिजिजू के नेतृत्‍व वाले मंत्री समूह को यूसीसी पर आम सहमति बनाने की मिली जिम्‍मेदारी

सरकार और भाजपा यूसीसी मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं कर रही है क्योंकि इसका असर मुसलमानों के साथ-साथ ईसाइयों और सिखों सहित अन्य समुदायों पर भी पड़ेगा।

रिजिजू के नेतृत्‍व वाले मंत्री समूह को यूसीसी पर आम सहमति बनाने की मिली जिम्‍मेदारी
X

नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण और देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करना भाजपा का मुख्य एजेंडा रहा है, जिनमें से दो उसने पूरा कर लिया है जबकि यूसीसी मसौदे को अंतिम रूप देने के प्रयास जारी हैं।

सरकार और भाजपा यूसीसी मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं कर रही है क्योंकि इसका असर मुसलमानों के साथ-साथ ईसाइयों और सिखों सहित अन्य समुदायों पर भी पड़ेगा। यहां तक कि हिन्दू भी इससे प्रभावित होंगे, विशेषकर अनुसूचित जनजातियों के साथ-साथ विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं को मानने वाले दलितों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

कई दशकों के लगातार प्रयासों के बाद अब भाजपा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सरकार चला रही है और अगर यूसीसी को पूरे देश में लागू किया जाता है तो निस्संदेह आदिवासी बहुल पूर्वोत्तर पर इसका बड़ा असर होगा। यही वजह है कि भाजपा इस मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा को बढ़ावा दे रही है ताकि सभी वर्ग के लोगों की राय सामने आ सके।

यूसीसी पर चल रहे विवाद के बीच यह भी स्‍पष्‍ट करने की कोशिश की जा रही है कि इसका मकसद सभी पर एक जैसा कानून या नियम थोपना नहीं है। दावा किया जा रहा है कि यूसीसी में सभी की आस्था का पूरा सम्मान किया जाएगा।

हाल ही में भाजपा के राज्यसभा सांसद और यूसीसी मुद्दे पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने भी प्रस्तावित यूसीसी से आदिवासियों और उत्तर-पूर्व को बाहर रखने की वकालत की थी।

यह भी साफ दिख रहा है कि सरकार सभी पक्षों को ध्यान में रखकर ही यूसीसी पर आगे बढ़ना चाहती है।
हाल ही में यूसीसी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की अध्यक्षता में अनौपचारिक रूप से गठित मंत्रियों के समूह को यूसीसी पर विभिन्न वर्गों के साथ परामर्श करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

मंत्री समूह में रिजिजू आदिवासियों से संबंधित मुद्दों पर परामर्श करेंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, जी. किशन रेड्डी और अर्जुन राम मेघवाल क्रमशः महिलाओं के अधिकारों, पूर्वोत्‍तर और कानूनी पहलुओं से संबंधित मुद्दों पर गौर करेंगे।

इसके अलावा, भाजपा यूसीसी के बारे में फैलाई जा रही "गलतफहमियों" को लेकर भी काफी सतर्क है।

विधि आयोग द्वारा यूसीसी पर लोगों से सुझाव और राय मांगने के साथ ही देश भर में एक राष्ट्रीय बहस शुरू हो गई है।

भाजपा के अलावा आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और विश्व हिंदू परिषद जैसे अन्य संगठन भी देश के विभिन्न हिस्सों में यूसीसी के बारे में लगातार चर्चा और संवाद कर रहे हैं ताकि मुसलमानों सहित समाज का हर वर्ग खुलकर अपने सुझाव और विचार सामने रख सके। जनता और उसके आधार पर सरकार अपनी आगे की रणनीति तय कर सकती है।

माना जा रहा है कि भाजपा पूरे देश में यूसीसी लागू करने के लिए उत्तराखंड को प्रयोगशाला बना सकती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में यूसीसी ड्राफ्ट के कार्यान्वयन के लिए पहले ही एक समिति का गठन कर दिया है।

हाल ही में अपने दिल्ली दौरे के दौरान धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी.एल. संतोष से अलग-अलग मुलाकात की थी और यूसीसी ड्राफ्ट के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा की।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it