रिजिजू ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया
कार्यशाला में आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंडइ रूपरेखा 2015-2030 और डीआरआर की मौलिक अवधारणाओं पर विचार किया जाएगा

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को यहां आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए कार्य योजना विकसित करने संबंधी सेंडइ निगरानी व्यवस्था के उपयोग पर विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों को संवेदी बनाने के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पहले राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का उद्धाटन किया। रिजिजू ने प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्यधिक वांछित पहल बताते हुए कहा कि इस कार्यशाला में भाग लेने वाले संवेदी बनेंगे और आपदा जोखिम में कमी के लिए कार्य योजना विकसित करने में सेंडइ निगरानी व्यवस्था के उपयोग में क्षमता सृजन में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकरियों के लिए इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम बाद में आयोजित किए जाएंगे। तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने आपदा जोखिम कमी-वैश्विक शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनआईएसडीआर-जीईटीआई) के सहयोग से किया।
कार्यशाला में आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंडइ रूपरेखा 2015-2030 और डीआरआर की मौलिक अवधारणाओं पर विचार किया जाएगा। एसएफडीआरआर में शामिल लक्ष्यों के क्रियान्वयन की दिशा में चलाई जा रही गतिविधियों की प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी।
एसएफडीआरआर 2015 के बाद विकास एजेंडा का पहला प्रमुख समझौता है और यह आपदा जोखिम में कमी करने की दिशा में लक्ष्यों और प्राथमिकता वाले कार्यो को चिन्हित करता है और सतत विकास को लागू करने के काम को भी चिन्हित करता है। भारत ने एसएफडीआरआर पर हस्ताक्षर किया है।
एनडीएमए तथा यूएनआईएसडीआर के वरिष्ठ अधिकारियों और 12 मंत्रालयों -रक्षा, विद्युत, खान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, आवास और शहरी मामले, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय दूर संवेदी केन्द्र (एनआरएससी), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्लयूसी), परमाणु ऊर्जा तथा दूरसंचार विभाग जैसी केन्द्रीय एजेंसियां भी उपस्थित थीं।


