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आरजी कर घोटाला : सीबीआई को संदीप घोष के मोबाइल फोन और लैपटॉप से मिले सांठगांठ के सुराग

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय घोटाले की जांच कर रहे हैं। इन अधिकारियों ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के दो मोबाइल फोन और दो लैपटॉप से महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त किए हैं जो उनके "प्रभावशाली सांठगांठ" के बारे में बताते हैं

आरजी कर घोटाला : सीबीआई को संदीप घोष के मोबाइल फोन और लैपटॉप से मिले सांठगांठ के सुराग
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कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय घोटाले की जांच कर रहे हैं। इन अधिकारियों ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के दो मोबाइल फोन और दो लैपटॉप से महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त किए हैं जो उनके "प्रभावशाली सांठगांठ" के बारे में बताते हैं।

घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने बताया कि मोबाइल फोन और लैपटॉप के अलावा, आरजी कर कॉलेज में घोष के दफ्तर के डेस्कटॉप और वहां से जब्त किए गए दस्तावेज से भी कुछ इसी तरह के सुराग मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार, अब तक की जांच में आरजी कर वित्तीय मामले में तीन स्तरीय सांठगांठ (थ्री टियर नेक्सस) का पता चला है। पहले स्तर में घोष के राजनीतिक रूप से प्रभावशाली संरक्षक शामिल हैं। जबकि घोष और उनके बहुत करीबी सहयोगी इस मामले में दूसरे स्तर पर थे। तीसरे और अंतिम स्तर में आरजी कर के वे ठेकेदार और आपूर्तिकर्ता शामिल थे जो घोष के बेहद करीबी और विश्वासपात्र थे।

सूत्रों ने बताया कि मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की लगातार जांच में भी कुछ धन-राशि के सोर्स की पहचान हुई है, जोकि मामले में तीन-स्तरीय गठजोड़ की पुष्टि करते हैं।

वित्तीय मामले में सीबीआई की जांच अदालत की ओर से निर्देशित और निगरानी में है। जबकि ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दाखिल करने के बाद मामले में खुद संज्ञान लिया था।

सूत्रों ने बताया कि दोनों जांच एजेंसियों ने मामले में एक पैटर्न की पहचान की है, जिसमें अनुबंध या कार्य आदेश देने के लिए टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर, राज्य लोक निर्माण विभाग के बजाय आउटसोर्स एजेंसियों को काम देना, अस्पताल से निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्टों की खुले बाजार में अवैध बिक्री और अस्पताल के मुर्दाघर में आने वाले अज्ञात शवों के अंगों की तस्करी शामिल है।

जांच अधिकारियों ने इस मामले में कई शेल कंपनियों की भूमिका की पहचान की है, जिनका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया था। यह पश्चिम बंगाल के स्कूल नौकरी मामले और राशन वितरण मामले से काफी मिलता-जुलता है।


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