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आउटसोर्सिंग के खिलाफ क्रांति सेना का प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ राज्य आउटसोर्सिंग नामक शब्द से भयाक्रांत है......

आउटसोर्सिंग के खिलाफ क्रांति सेना का प्रदर्शन
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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य आउटसोर्सिंग नामक शब्द से भयाक्रांत है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग करने का उद्देश्य केवल यही था कि इस भू-भाग में रहने वाली जनता विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गई थी। इनके समुचित विकास, यहां की मूुल भाषा-संस्कृति, यहां की प्रचुर वन एवं खनिज संपदा, यहां के रीति-रिवाज, यहां के ऐतिहासिक मूल्यों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के महान उद्देश्यों को लेकर ही छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था।

परंतु राज्य निर्माण के सत्रह वर्ष बीतते-बीतते यहां के मूल निवासी अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है। राज्य बनते ही राजनीति, व्यापार, उद्योग, कला-संस्कृति, शासकीय सेवाएं, कृषि, धर्म, जीवन के हर क्षेत्र में आउटसोर्सिंग होने लगा। भाषा के जरिये छत्तीसगढ़ अस्मिता को खत्म करने के लिये यहां के स्कूलों में यहां की राजभाषा छत्तीसगढ़ी के बजाय उड़िसा, बांग्ला, तेलगु आदि पढ़ाने की साजिशें की जाने लगी। पहले से ही विकसित भारत के अनेक राज्यों से लोग आकर इस विकासशील प्रदेश छत्तीसगढ़ के संसाधनों पर तेजी से कब्जे जमाने लगे। शत्ता के हलियारों में बैठे पर प्रांतीय लोग अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों को यहां स्थापित करने के लिये सुगमता भरा माहौल बनाने में जुट गए।

छत्तीसगढ़ के युवाओं और उनके अभिभावकों में कुछ न कर पाने की छटपटाहट में भीतर ही भीतर आक्रोश पनप रहा है, हालात बिगड़ने से पहले जनताको महामहिम की बड़ी उम्मीद है कि आप अवश्य छत्तीसगढ़ सरकार और उनके मंत्रिमंडल से इन प्रश्नों के जवाब मांगेंगे एवं छत्तीसगढ़ की जनता को आउटसोर्सिंग की काली नीति से निजात दिलाकर न्याय करेंगे।


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