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सरकार पर पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी : तोमर

 केन्द्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि राज्यों और केन्द्र सरकार पर पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की बड़ी जिम्मेदारी है

सरकार पर पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी : तोमर
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भोपाल। केन्द्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि राज्यों और केन्द्र सरकार पर पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिये राज्यों के ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थानों को राज्य में ही स्थापित अच्छे संस्थानों के साथ समन्वय कर प्रशिक्षण देने की पहल करना चाहिये।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक कल यहां राज्यों के पंचायती राज मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पंचायतें और गाँव आगे बढ़ रहे हैं, विकास की जिम्मेदारियाँ बढने के कारण पंचायतों की क्षमता का विकास करना जरूरी हो गया है।

इस मौके पर तोमर ने राज्यों द्वारा ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम के आकल्पन और क्रियान्वयन में सहयोग देने और उसे आगे बढ़ाने के लिये आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पंचायतों के प्रतिनिधियों की क्षमता को कमतर आँकना उचित नहीं है। विकास के प्रति उनकी सोच हमेशा सराहनीय होती है। उन्होंने कहा कि पंचायत राज प्रतिनिधियों को चुने जाने के प्रारंभिक वर्ष में ही प्रशिक्षण मिलना चाहिये, जिससे वे प्रशिक्षण और कौशल का उपयोग विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में कर सकें।

सम्मेलन में यूनिसेफ द्वारा पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिये प्रकाशित पुस्तिका और सतत विकास एवं सहस्त्राब्दि लक्ष्य की प्रशिक्षण हैंडबुक का विमोचन किया गया। विकास के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाली 15 ग्राम पंचायतों के सरपंचों को सम्मानित किया गया।

इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पंचायतों को सशक्त बनाकर सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है, मध्यप्रदेश ने इसका उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। मध्यप्रदेश में पंचायती राज की मूल अवधारणा को ग्राम स्तर तक पहुँचाया गया है।

चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संकल्पों को पूरा करने में मध्यप्रदेश अग्रणी है। आचार्य विनोबा भावे ने कहा था कि देश स्वतंत्र हो गया पर गाँव स्वतंत्र नहीं हुए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब देश और गाँव भी स्वतंत्र हैं। ग्राम स्वराज की परिकल्पना को जमीन पर उतारा जा रहा है।

मध्यप्रदेश में जनता से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण योजनाएँ पंचायतों के माध्यम से बनायी गई हैं। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित पंचायतों में संबंधित वर्ग के लोगों से संवाद के माध्यम से उनकी समस्यायों के निराकरण के लिये सुझाव लिये जाते हैं। इन्हीं पंचायतों के माध्यम से महिला कल्याण की लाड़ली लक्ष्मी योजना, बुजुर्गों के लिये मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना, किसानों के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, छात्रों के लिये मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना जैसी अनेक योजनाएँ बनाई गई हैं। प्रदेश में अब तक 40 पंचायतें आयोजित की जा चुकी हैं।

आयोजन में केन्द्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला, मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विश्वास सारंग एवं पंचायत राज मंत्री जुपाली कृष्ण राव (तेलंगाना), राजेन्द्र राठौर (राजस्थान), ओमप्रकाश धनकर (हरियाणा), नारा लोकेश (आंध्रप्रदेश), अलो लीबांगा (अरूणाचल प्रदेश), नाबा कुमार डोली (असम), जयंती भाई आर. केवड़िया (गुजरात), भूपेन्द्र सिंह चौधरी (उत्तरप्रदेश) और अजय चन्द्राकर (छत्तीसगढ़) भी मौजूद थे।


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