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विधानसभा में संविधान संशोधन के अनुसमर्थन का संकल्प मंजूर

 राजस्थान विधानसभा में लोकसभा एवं राज्यविधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को दस साल बढाने के लिए 126वां संविधान संशोधन के अनुसमर्थन के लिए लाया गया

विधानसभा में संविधान संशोधन के अनुसमर्थन का संकल्प मंजूर
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जयपुर। राजस्थान विधानसभा में लोकसभा एवं राज्यविधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को दस साल बढाने के लिए 126वां संविधान संशोधन के अनुसमर्थन के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव आज ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने इसे सदन में प्रस्तुत किया और चर्चा के बाद लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण दस वर्ष और बढ़ाने के लिए संविधान के अनुच्छेद-368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ) के परिधि के तहत संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक 2019 के प्रस्ताव के संकल्प का सर्वसहमति से अनुसमर्थन कर पारित किया गया।

इस पर चर्चा करते हुए श्री धारीवाल ने इस पर हुई चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों द्वारा प्रस्ताव को देर से लाने के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि यह सही है कि अभिभाषण के लिए विभिन्न विभागों से जानकारी एकत्रित करने में समय लगता है। अतः विपक्ष के सदस्यों का यह कहना गलत है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को लाने में देरी की है। उन्होंने कहा राज्यपाल के अभिभाषण की तैयारी के लिए समय लगा और संकल्प लाने में देरी हुई तो विपक्ष की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकार को चेताते, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को क्यों नहीं निभाया। उन्होंने विपक्ष को पूरी तरह नकारा विपक्ष करार दिया। इस पर विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए खड़े होकर बोलने पर एक बार सदन में हंगामे की स्थिति बन गई।

इससे पहले प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ ने इस पर चर्चा की शुरुआत करते हुए संविधान संशोधन के अनुसमर्थन के लिए संकल्प प्रस्ताव लाने में देरी करने के लिए राज्य सरकार का विरोध किया। हालांकि संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि इससे गत दस जनवरी से पहले ही लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसका तब अनुसमर्थन कर रही हैं जब यह कानून बन चुका है।

ऊर्जा मंत्री बी डी कल्ला ने संकल्प प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि संविधान संशोधन के अनुसमर्थन की तारीख गई नहीं हैं और इससे पहले ही सत्र बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के रहते राज्य में डा भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी खोली गई लेकिन भाजपा सरकार ने उसे बंद कर दिया। बाद में फिर कांग्रेस की सरकार आते ही उसे फिर शुरु किया गया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार केन्द्र एवं राज्यों में हमेशा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों की हितैषी रही है।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आरक्षण की समीक्षा की बात कांग्रेस ने कभी नहीं की है जबकि इसकी समीक्षा की बात भाजपा ने की है। इस पर भाजपा सदस्यों ने आपत्ति जताई। उन्होंने सदन को विश्वास दिलाते हुए कहा कि पीड़ित और शोषित का हमेशा समर्थन करेंगे।

विधायक जे पी चंदेरिया ने संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रति कांग्रेस की भावना रही हैं। विधायक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि कांग्रेस को एससी एवं एसटी वर्ग की चिंता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ग की केवल कांग्रेस ही हितैषी हैं, यह हवा बनाना गलत है।

विधायक गोविन्दराम मेघवाल ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसके मन में एससी एवं एसटी वर्ग के प्रति संवेदना होती तो वह कानून के समर्थन में अनुसमर्थन के लिए संकल्प लाने में देरी क्यों करती। कम समय का नोटिस में सत्र बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें देरी करने का वह विरोध करते हैं जबकि संविधान संशोधन के अनुसमर्थन संकल्प का समर्थन करते है।

इसके अलावा विधायक बाबू लाल नागर, पुखराज गर्ग, बलवान पूनियां, अमृतलाल तथा बाबू लाल वर्मा ने चर्चा में भाग लिया और संकल्प का समर्थन किया।


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