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सीएम फेलोशिप के शोधार्थियों को सरकारी सेवा में मिलेगा वेटेज : मुख्यमंत्री योगी

यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने मुख्यमंत्री फेलोशिप के सभी 100 शोधार्थी अपने आकांक्षात्मक विकासखंडों में काम करने के साथ ग्रामीण विकास पर एक ग्रंथ लिखें ताकि लोग इसे करीब से जान सकें

सीएम फेलोशिप के शोधार्थियों को सरकारी सेवा में मिलेगा वेटेज : मुख्यमंत्री योगी
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लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने मुख्यमंत्री फेलोशिप के सभी 100 शोधार्थी अपने आकांक्षात्मक विकासखंडों में काम करने के साथ ग्रामीण विकास पर एक ग्रंथ लिखें ताकि लोग इसे करीब से जान सकें। कहा कि इसके लिए जो भी शोधार्थी दो-तीन साल बाद शासकीय सेवा में आना चाहें सरकार उन्हें वेटेज देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लोकभवन में आयोजित मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के तहत नवचयनित शोधार्थियों को टैबलेट्स वितरण कार्यक्रम के दौरान की। इस दौरान उन्होंने शोधार्थियों को टैबलेट्स भी वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि ब्लाक तथा जिला स्तर पर अच्छा काम करने वाले शोधार्थियों को प्रदेश की प्रशासनिक सेवाओं में भी काम करने का अवसर मिलेगा। इतना ही नहीं इसको उम्र में छूट देने के साथ ही अतिरिक्त लाभ देकर सरकारी सेवा में काम करने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का दिन प्रदेश के लिए ग्रामीण विकास की ²ष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश देश की आबादी का सबसे बड़ा राज्य है। वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। प्रदेश में एक लाख से अधिक राजस्व गांव, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें, 75 जनपद और 826 विकासखंड हैं। पूरे देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य हैं जहां 75 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। यहां की अर्थव्यवस्था का आधार ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही है। ऐसे में प्रदेश के उन 100 विकासखंडों को आकांक्षात्मक विकासखंड में चुना गया है जो विकास की प्रक्रिया में पीछे छूट गए थे। उन्हे सामान्य जनपदों की सामान्य विकासखंडों की तर्ज पर विकसित करने के लिए जो कार्यक्रम बनाया गया है उसके लिए 100 मुख्यमंत्री फेलोशिप शोधार्थियों को आज तैनाती दी जा रही है, जो अगले कुछ वर्षों के अंदर अपना परिणाम देकर प्रदेश सरकार के विकास की यात्रा में सहभागी बनेंगे।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग को आदेश दिया था कि वो पता लगाए की देश के अंदर 600 जनपदों में से कितने ऐसे जनपद हैं जो आकांक्षात्मक हैं। इसके लिए कुछ पैरामीटर तय किए गए थे। उनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कृषि, जल संसाधन, स्किल डेवलपमेंट, वित्त समावेश को शामिल किया गया था। इसके लिए 75 इंडीकेटर के रूप में नीति आयोग ने एक व्यवस्था बनाई थी, जिनमें पूरे देश से 112 जनपदों का चयन किया गया था। इन जनपदों में 8 उत्तर प्रदेश के थे।

सीएम योगी ने कहा कि ऐसे में इन जनपदों के विकास के लिए सबसे पहले वहां की मैनपॉवर की कमी को पूरा किया गया, जिसके परिणाम सामने आए और देश में जिन 10 जनपदों ने सबसे अच्छा काम किया, उनमें टॉप टेन में पहले पांच जनपद उत्तर प्रदेश के थे और टॉप 20 में प्रदेश के सभी 8 जनपद थे। हमने इससे प्रेरणा लेकर 826 विकासखंडों में 100 ऐसे विकासखंड तय किए जो इन सभी पैरामीटर में पीछे छूट गए थे। इसके लिए सीएम फेलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत की गई और शोधार्थियों के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई, जिसमें 26 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया। चयनित सभी 100 शोधार्थियों को सरकार निश्चित मानदेय देगी, लेकिन उन्हे अपनी हर दिन की प्रगति रिपोर्ट को अपलोड करना होगा।

सीएम ने कहा कि प्रदेश के विकास कार्य की समीक्षा के लिए मंत्रियों का समूह बनाया गया, जिसमें 25 जिले मेरे पास हैं और 25-25 जिलों की जिम्मेदारी दोनों डिप्टी सीएम क्रमश: केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के पास है। सभी अपनी समीक्षा की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजते हैं, जिसके परिणाम काफी अच्छे आए। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपने 25 जिलों के कार्यों के डाटा को संकलित कर उसकी थीसिस बनाई और मुझे दिखाई, जो डॉक्यूमेंटेंशन का अच्छा उहाहरण है। इस पर चाहें तो वह एक किताब भी लिख सकते हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश के शिक्षकों को शैक्षिक कार्य के साथ गांव की जनगणना, मतदाता सूची के लिए जरूर जाना चाहिए क्योंकि उन्हे गांव की सामाजिक और आर्थिक परिस्थिति की पूरी जानकारी होती है।


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