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रिपोर्ट: सिर्फ तीन कंपनियां गिग वर्कर्स को दे रही न्यूनतम वेतन

फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2023 में पाया गया कि भारत में बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट और अर्बन कंपनी ने यह सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम वेतन नीति लागू की है कि उनके कर्मचारी स्थानीय न्यूनतम वेतन अर्जित करें.

रिपोर्ट: सिर्फ तीन कंपनियां गिग वर्कर्स को दे रही न्यूनतम वेतन
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रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एल्गोरिदम का इस्तेमाल न केवल कर्मचारियों को श्रम प्रक्रिया से अलग करता है, बल्कि यह कर्मचारियों को अन्य श्रमिकों से भी अलग करता है.

रिपोर्ट कहती है कि वर्कर्स में प्लेटफॉर्म पर रेटिंग के प्रभाव के बारे में अनिश्चितता और निर्णयों का विरोध करने में सक्षम नहीं होते हैं, क्योंकि प्लेटफॉर्म का मानना है कि "ग्राहक हमेशा सही होता है." यही वजह गिग वर्कर्स में शक्तिहीनता और अलगाव की भावना को मजबूत करता है.

गिग वर्कर्स को काम पर कड़ी चुनौतियों और दुर्व्यवहार का सामना भी करना पड़ता है. भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का कानूनी परिदृश्य काफी हद तक अपरिवर्तित है.

अब बदल रहे हालात

इसी साल अगस्त में राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने संबंधी बिल पारित किया था. राजस्थान विधान सभा ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 पारित किया था.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कमाई अर्जित कर रहे लाखों गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए विधेयक पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. इस विधेयक के अंतर्गत राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी. साथ ही, राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार सामाजिक सुरक्षा और कल्याण निधि का गठन किया जाएगा.

अब केंद्र सरकार भी गिग वर्कर्स जो भारत में एमेजॉन, ऊबर, जोमैटो, ओला जैसे अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के लिए काम करने वालों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाने की तैयारी कर रही है. भारत में अधिकांश गिग वर्कर्स ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हैं.

सरकारी अधिकारियों और ट्रे़ड यूनियन से जुड़े लोगों का कहना है कि मोदी सरकार 2024 के आम चुनाव के तहत कदम उठाने की तैयारी कर रही है.

भारत की गिग अर्थव्यवस्था के आकार के लिए कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, हालांकि निजी अनुमानों के मुताबिक ऐसे श्रमिकों की संख्या एक करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ है. बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने 2021 में अनुमान लगाया था कि भारत की गिग अर्थव्यवस्था में नौ करोड़ नौकरियां पैदा करने और 250 अरब डॉलर से अधिक का वार्षिक लेनदेन करने की क्षमता है.


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