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रबी फसल से हटे प्रतिबंध

पानी और रबि फसल को लेकर राज्य सरकार का एक अजीबोगरीब फैसला अखबार की सुर्खियों में है

रबी फसल से हटे प्रतिबंध
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पानी और रबि फसल को लेकर राज्य सरकार का एक अजीबोगरीब फैसला अखबार की सुर्खियों में है। राज्य सरकार इस बार रबि फसल के लिए किसानों को पानी देने तैयार नहीं है। इसके तह में नदी जलाशयों में पानी भराव का कम होना बताया जा रहा है। पिछले चौदह सालों में रमन सरकार ही किसानों को रबि फसल लेने हर संभव मदद करते आई है। पानी, बिजली, बीज, खाद के लिए भी बकायदा ध्यान रखी है किंतु इस बार रबि फसल न लेने की बात कहकर राज्य सरकार ने अचंभित कर दिया परिणाम स्वरूप रबि फसल लेने वाले किसानों को हतोत्साहित होना पड़ा है। बंदिश भी इतनी सख्त लगाई गई है कि बोरवेल से भी पानी लेने पर मनाही है।

बावजूद जो किसान पंपों से पानी लेगा तो कार्रवाई होगी। राज्य सरकार ने दलील दी है कि इस बार बारिश कम होने से नदी बांध जलाशयों में पानी कम है। पानी का भराव केवल पेयजल व निस्तारी के ही लायक है। ऐसी स्थिति में किसानों को रबि फसल के लिए नहर पानी नहीं दिया जा सकता तथा बोरवेल से यदि किसान रबि फसलों के लिए पानी लेंगे तो धरती का जलस्तर गिर सकता है तथा गर्मी के दिनों में पानी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है इससे बेहतर यही है कि रबि फसलों को किसान न ले।

सरकार ने उसके बदले कम पानी वाली फसल दलहन-तिलहन को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है। ताकि कम पानी से अच्छी फसल लेकर दलहन तिलहन की अच्छी कीमत ली जा सके। तथा इसकी आपूर्ति भी हो सके। दरअसल यह किसानों के लिए बहुत अन्यायपूर्ण फैसला है कि उनको रबि फसल के लिए मना किया जाए। यह ठीक है कि नदी नालों जलाशयों में पानी नहीं होने से रबी फसल को पानी की पूर्ति नहीं की जा सकती लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि किसान पर रबि फसल लेने पर ही बंदिश लगाई जाए। यह कतई जायज नहीं है। दरअसल प्रदेश में धान की दोहरी फसल लेने की परंपरा बरसों पुरानी है।

60 दिन में निकलने वाले हरूनहा धान, ग्रीष्म में लिए ही जाते हैं। नहर अपासी वाले खेतों में यह फसल बड़ी तादाद पर होती है तथा खरीफ में हुए नुकसान का भरपाई रबि फसल लेकर किसान करते हैं। इस वर्ष खरीफ फसल में दम नहीं है। मौसम ने अनुकूल साथ दिया नहीं है इसलिए रबि फसल से किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करंे तो इसमें क्या बुराई है। अगर सरकार खुद पानी न दे सके तो कोई बात नहीं लेकिन बोरवेल, डबरी, तालाब से सिंचाई करने पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

जो किसान रबि फसल बिना सरकार के सहयोग से ले सके उनको लेने की मंजूरी होनी चाहिए। सोचनीय है कि ऐसा न करके किसानों का हितैषी सरकार कैसे हो सकेगी। दहन-तिलहन में किसानों की रूचि कम है उससे उनको कोई बड़ा बाजार मिलने वाला नहीं है। दलहन-तिलहन में कोई लागत ज्यादा आती है क्योंकि धान की अपेक्षा उसकी सुरक्षा तगड़़ी रखनी पड़ती है जिस पर भारी व्यय होता है। दलहन-तिलहन गिने चुने लोग ही लगाते हैं इसलिए भारी लागत के साथ दिक्कते बहुत होती है। राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। रबि फसल से प्रतिबंध हटाना किसानों के हित में होगा।


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