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जर्मनी में नाजी काल की यातना के शिकारों की याद

जर्मन संसद ने नाजी नरसंहार स्मृति दिवस के मौके पर पहली बार यौन प्राथमिकता और लैंगिक पहचान के आधार पर सताए गए लोगों को याद किया. 27 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय होलोकास्ट दिवस मनाया जाता है

जर्मनी में नाजी काल की यातना के शिकारों की याद
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जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में वार्षिक स्मृति समारोह इस साल यौन रुझान जाहिर करने के लिए मारे गए लोगों की याद को समर्पित था. इस मौके पर युद्ध के बाद भी सालों तक जारी रहे दमन को याद किया गया. बुंडेसटाग की अध्यक्ष बेरबेल बास ने कहा कि उन सभी शिकारों को याद करने का कभी अंत नहीं होना चाहिए जिन्हें नाजियों द्वारा प्रताड़ित किया गया, धमकाया गया, नागरिकता छीन ली गई और जान से मार डाला गया. उन्होंने कहा, "होलोकास्ट के शिकारों को कभी नहीं भूलाया जाएगा."

संसद अध्यक्ष ने कहा, "आज हम उन लोगों को याद कर रहे हैं जिन्हें उनके यौन विचारों और लैंगिक पहचान के कारण प्रताड़ित किया गया." उन्होंने ये भी कहा कि नाजी काल का अंत इन लोगों की राजकीय प्रताड़ना का अंत नहीं था. पुरुषों के बीच यौन संबंध साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में 1968 तक और पश्चिमी जर्मनी में 1969 तक अपराध था.

इस मौके पर होलोकास्ट में जीवित बच गई रोजेटे कात्स ने भी भाषण दिया जिनके माता-पिता को नीदरलैंड से आउशवित्स बिर्केनाउ नाजी यातना शिविर में भेज दिया गया था. उन्होंने समारोह में उपस्थित लोगों से अपने पालक परिवार के साथ बिताए गए बचपन के दिन साझा किए, जब वह यातना शिविर में भेजे जाने के डर से अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने से बचती थीं.

जर्मनी में दशकों प्रतिबंधित रहे समलैंगिक संबंध

समारोह को क्लाउस शिर्डेवान ने भी संबोधित किया जिन्हें 1964 में नाजी काल के दौरान बनाए गए कानून के तहत एक पुरुष के साथ यौन संबंध बनाने के अपराध में सजा दी गई थी. 75 वर्षीय शिर्डेवान ने कहा, "मैं सब कुछ कर रहा हूं ताकि हमारे अतीत को भुलाया न जाए, खासकर ऐसे समय में जब क्वीयर समुदाय जर्मनी सहित सारी दुनिया में विद्वेष का सामना कर रहा है." 1871 में बने एक कानून के तहत पुरुषों के बीच यौन संबंध प्रतिबंधित थे. सालों तक इस कानून पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी और खासकर वाइमर रिपब्लिक के दौरान तो राजधानी बर्लिन में एक अत्यंत सक्रिय एलजीबीटीक्यू समुदाय था.

फिर नाजी शासन में आए. उन्होंने 1935 में समलैंगिक कानून को सख्त बना दिया और समलैंगिक सेक्स के लिए 10 साल की सश्रम कैद की सजा तय की. इस कानून के तहत 57,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि करीब 10,000 लोगों को यातना शिविर में भेज दिया गया, जहां ड्रेस पर गुलाबी रंग का तिकोना लगाना होता था जो उनकी सेक्शुएलिटी का प्रतीक होता था.

बैरबेल बास ने कहा कि क्वीयर सर्वाइवरों को अपनी पीड़ा की मान्यता के लिए सालों तक संघर्ष करना पड़ा है. नाजी काल में समलैंगिक लोगों का बंध्याकरण किया जाता था, उन पर दर्दनाक मेडिकल प्रयोग किए जाते थे और मार डाला जाता था. जेल की व्यवस्था में उनकी जगह सबसे नीचे थी. हजारों लेस्बियनों, ट्रांसजेंडरों और सेक्स कर्मियों को 'डिजेनेरेट्स' कहा जाता था और क्रूर परिस्थितियों में कैद रखा जाता था. चांसलर ओलाफ शॉलत्स, उनकी सरकार के मंत्रियों और सांसदों ने भी समारोह में हिस्सा लिया.

यातना शिविर आउशवित्स की आजादी का दिन

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति से कुछ महीने पहले सोवियत सैनिकों ने आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराया था. जर्मनी 1996 से इस दिन को होलोकास्ट मेमोरियल दिवस के रूप में मनाता है. इस मौके पर संसद में प्रमुख समारोह होता है जबकि सारे देश में छोटे छोटे समारोहों में नाजी प्रताड़ना के शिकारों को याद किया जाता है.

मुख्य रूप से होलोकास्ट मेमोरियल नाजी द्वारा किए गए नरसंहार के 60 लाख यहूदियों की याद में मनाया जाता है, लेकिन 1996 में पहले समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति रोमान हैर्त्सोग ने अडोल्फ हिटलर के शासन काल में मारे गए गे और लेस्बियन लोगों को भी श्रद्धांजलि दी थी. संसद अध्यक्ष ने बास ने कहा कि हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह अतीत के अपराधों का नए सिरे से सामना करे और सभी पीड़ित लोगों की कहानी सुनाए. बास ने लोगों से अपील की कि वे क्वीयर लोगों के खिलाफ भेदभाव पर ध्यान दें. उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.

इतिहासकारों का कहना है कि यातना शिविरों में 300 से लेकर 10,000 समलैंगिक लोग और अज्ञात संख्या में लेस्बियन और ट्रांसजेंडर मारे गए या दुर्व्यवहार के कारण उनकी मौत हो गई. पूर्वी जर्मनी में समलैंगिक कानून को 1968 में खत्म कर दिया गया जबकि पश्चिमी जर्मनी में पहले नाजी काल के कानून को बदलकर फिर से पुराना कानून वापस लाया गया और आखिरकार 1994 में भेदभावपू्र्ण समलैंगिक कानून को खत्म किया गया. 2017 में संसद ने समलैंगिक कानून के तहत सजायाफ्ता 50,000 लोगों की सजा वापस ले ली और उन्हें हर्जाना देने की पेशकश की.


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