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आईएमए मंच से धार्मिक प्रचार : हाईकोर्ट का निचली अदालत के आदेश पर रोक से इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया

आईएमए मंच से धार्मिक प्रचार : हाईकोर्ट का निचली अदालत के आदेश पर रोक से इनकार
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष जे.ए. जयालाल किसी धर्म के प्रचार के लिए संगठन के मंच का इस्तेमाल नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कोई भी एकपक्षीय आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि निचली अदालत में शिकायतकर्ता की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ था।

निचली अदालत ने चार जून के अपने आदेश में जयालाल को आगाह किया था कि जिम्मेदार पद की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति से हल्की टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट ने कहा कि वह निचली अदालत के आदेश की जांच करेगा और जयालाल की याचिका पर नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 जून को तय की है।

जयालाल ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था।

जयालाल को हिंदू धर्म और आयुर्वेद को बदनाम करने से रोकने के लिए रोहित झा ने एक मुकदमा दायर किया था।

हालांकि, अदालत ने कहा कि आईएमए अध्यक्ष की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया है कि वो आगे ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगे, इसलिए उनके इस आश्वासन के कारण कोई निषेधाज्ञा पारित करने की आवश्यकता नहीं है।

झा ने आरोप लगाया कि जयालाल आईएमए प्रमुख के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और कोविड रोगियों के इलाज में आयुर्वेद पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने की आड़ में हिंदू धर्म के खिलाफ एक दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक अभियान चलाया जा रहा है।

जयालाल का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता तन्मय मेहता ने दावा किया कि उन्होंने निचली अदालत को कभी आश्वासन नहीं दिया है, क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मेहता ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

उन्होंने दावा किया कि यह आदेश उनकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर रहा है, क्योंकि वह एक ऐसे निकाय के प्रमुख हैं, जिसके सदस्य 3.5 लाख डॉक्टर हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि निचली अदालत के समक्ष मुकदमा फर्जी खबरों पर आधारित है।

ट्रायल कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि आईएमए का इस्तेमाल किसी भी धर्म पर किसी व्यक्ति के विचारों का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता और कहा कि किसी संस्था द्वारा किसी विशेष धर्म का विशेष प्रचार संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र की अवहेलना करता है।

बता दें कि निचली अदालत ने आईएमए के अध्यक्ष जयालाल को नसीहत दी थी कि वो आईएमए जैसी संस्था को किसी धर्म विशेष के प्रचार के प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल न करें। आईएमए प्रमुख के खिलाफ शिकायत में आरोप लगाया गया था कि वह कोविड के उपचार में आयुर्वेद की अपेक्षा एलोपैथी को बेहतर साबित करने की आड़ में ईसाई धर्म को बढ़ावा दे रहे हैं और हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक अभियान चला रहे हैं।


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