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मप्र विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पारित

मध्य प्रदेश में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए 'म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2021' चर्चा के बाद सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया

मप्र विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पारित
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भोपाल। मध्य प्रदेश में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए 'म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2021' चर्चा के बाद सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच नोकझोक भी हुई। विधानसभा में राज्य के विधि विधाई और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बीते सोमवार को सदन में मप्र धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2021 पेश किया था। इस पर आज बहस हुई। दोनों दलों के विधायकों ने अपने अपने तर्क रखे। कांग्रेस के विधायकों ने इस विधेयक का खुलकर विरोध किया। वहीं भाजपा की ओर से इसे वर्तमान दौर में जरुरी बताया गया। सदन में चली बहस के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

इस कानून में प्रावधान है कि धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रक्त संबंधी इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे। यह अपराध, गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा। उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा। धर्मान्तरण नहीं किया गया है, यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा। इसके साथ ही विवाह को शून्य किए जाने का भी प्रावधान किया गया है।

इस कानून में एक वर्ष से पांच वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रुपए का अर्थदण्ड होगा। नाबालिग, महिला, अजा, अजजा के प्रकरण में दो से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रूपए अर्थदण्ड प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर तीन वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रूपए का अर्थदण्ड होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम एक लाख रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान है।


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