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बिजली बिल में वकीलों को राहत

 दिल्ली सरकार ने राजधानी के वकीलों को राहत देते हुए तय किया है कि सभी जिला व उच्च न्यायालय सहित सभी अदालतों में वकीलों के चैम्बर की बिजली पर सरकार सब्सिडी देगी

बिजली बिल में वकीलों को राहत
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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी के वकीलों को राहत देते हुए तय किया है कि सभी जिला व उच्च न्यायालय सहित सभी अदालतों में वकीलों के चैम्बर की बिजली पर सरकार सब्सिडी देगी।

वकीलों के चैम्बर में कार्शियल बिल आते हैं और दिल्ली सरकार ने इन्हें घरेलू श्रेणी में शामिल करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग से आग्रह किया था लेकिन वहां से मनाही होने के बाद आज मंत्रिमंडल ने तय किया है कि कामर्शियल व घरेलू दरों के बीच जो भी अंतर होगा उस राशि को सरकार सब्सिडी देकर वकीलों को राहत देगी। यह जानकारी देते हुए ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली स्थित कोर्ट कॉम्लेक्स में वकीलों के चैम्बर में बिजली बिल कॉर्मिशियल के बजाय घरेलू दर पर वसूले जाएंगे। शुक्रवार को मंत्रिमंडल बैठक के बाद उन्होंने बताया कि इस पर फैसला किया गया है और अभी तक कॉमर्शियल रेट लगते थे, इसमें यूनिट का कोई जिक्र नहीं है, सरकार सब्सिडी देगी और इसका उल्लेख बिल में होगा।

उन्होने कहा कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग को इनके लिए लिखा था लेकिन अब सरकार सीधे सब्सिडी के जरिए ही राहत देगी। बता दें कि दिल्ली सरकार अभी घरेलू उपभोक्ताओं 400 यूनिट तक इस्तेमाल करने पर सब्सिडी दे रही है। जैन ने बताया कि दिल्ली सरकार, डिस्कॉम्स को 1400 करोड़ रुपए की सब्सिडी की राशि सीधे नहीं अदा नहीं करती है। दिल्ली सरकार की उत्पादन व वितरण इकइायों को इसका भुगतान किया जाता है। गौरतलब है कि डिस्कॅाम्स का सरकारी कंपनियों का कई हजार करोड़ रूपए का बकाया है और निजी कंपनियों ने इस मामले को अदालत में दाखिल किया है।

जैन ने कहा कि यह मामला विचाराधीन है और अंतिम फैसले के बाद जो होगा तय किया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने तय किया है कि विधायक निधि को देाबारा शहरी विकास विभाग ही देखेगा।

दरअसल आप सरकार ने अलग व्यवस्था बनाने के नाम पर विधायक निधि को खत्म करने का ऐलान करते हुए कहा था कि डूडा विधायक निधि के काम करवाएगा। आज सत्येन्द्र जैन ने कहा कि अब डूडा के स्थान पर शहरी विकास विभाग ही देखेगा।

दरअसल विपक्ष जहां डूडा के फेल होने के आरोप लगाता रहा है तो वहीं सत्तापक्ष के विधायक भी इस व्यवस्था से खुश नहीं हैं। इसे देखते हुए विधानसभा में डूडा को समाप्त करने का ऐलान किया गया था।


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