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मप्र में उप-चुनाव की तारीख का ऐलान टलने से सियासी दलों को राहत

चुनाव आयोग मध्य प्रदेश के प्रस्तावित उप-चुनाव की तारीखों का चार दिन बाद ऐलान करेगा, इससे यहां के राजनीतिक दलों ने राहत सांस ली है।

मप्र में उप-चुनाव की तारीख का ऐलान टलने से सियासी दलों को राहत
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भोपाल | चुनाव आयोग मध्य प्रदेश के प्रस्तावित उप-चुनाव की तारीखों का चार दिन बाद ऐलान करेगा, इससे यहां के राजनीतिक दलों ने राहत सांस ली है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन बुलाया था, तो संभावना जताई जा रही थी कि बिहार के विधानसभा के चुनाव के साथ मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के उप-चुनावों की तारीखों का भी ऐलान किया जाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। बिहार विधानसभा के चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए आयोग ने कहा है कि कोरोना को लेकर कई राज्यों की ओर से पत्र मिले हैं, इस पर विचार मंथन जारी है और उप-चुनावों की तारीखों का ऐलान 29 सितंबर को किया जाएगा।

चुनाव आयोग द्वारा तारीखों का ऐलान न किए जाने से राज्य के राजनीतिक दलों को आचार संहिता की जद में आने से चार दिन की और मोहलत मिल गई है।

शिवराज सरकार के राज्यमंत्री ओ पी एस भदौरिया का कहना है कि, "भाजपा चुनाव के लिए तैयार है, वहीं राज्य के विकास को और गति मिले यही जनता चाहती है, जनता यह भी जानती है कि उसकी इच्छा और सपनों को सिर्फ भाजपा ही पूरा कर सकती है। आगामी उप-चुनाव में कांग्रेस को जनता सबक सिखाएगी, क्योंकि उसने सत्ता में आने के बाद अपने वादों को पूरा नहीं किया था।"

कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि, "कांग्रेस चाह रही है कि जल्दी से जल्दी उप-चुनाव हों, क्योंकि राज्य में वर्तमान में अल्पमत की सरकार है। भाजपा लगातार सरकारी कार्यक्रम आयोजित कर घोषणाएं करने में लगी है, उसे घोषणाएं करने का चार दिन का समय और मिल गया है।"

जानकारों की मानें तो दोनों ही दल चुनाव की तारीखों का जल्दी ऐलान न हो ऐसा चाह रहे हैं। इसकी वजह दोनों दलों में बढ़ता असंतोष और खींचतान है।


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