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कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास 2022 तक होगा : शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि सरकार ने 2022 तक कश्मीरी घाटी के सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने का फैसला किया है

कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास 2022 तक होगा : शाह
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि सरकार ने 2022 तक कश्मीरी घाटी के सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कश्मीर के लोगों के लिए 25 हजार नौकरियां पैदा की हैं और इस क्षेत्र को ट्रेन से जोड़ा है।

गृहमंत्री ने कहा कि सरकार उन 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को प्रति माह 13,000 रुपये प्रदान कर रही है, जिनके पास राहत कार्ड हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें मुफ्त राशन भी देती है और 2022 तक उन्हें घाटी में उनके घरों में वापस बसाने की योजना है।

गृहमंत्री ने लोकसभा में जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान यह बात कही।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों की आशंका पर जवाब देते हुए यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी अपनी जमीन नहीं खोएगा, क्योंकि सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पर्याप्त जमीन है।

शाह ने कहा, जम्मू-कश्मीर में उद्योगों को लेकर सबसे बड़ी बाधा यह थी कि अगर उन्हें वहां कोई उद्योग स्थापित करना था तो उन्हें जमीन नहीं मिलती थी। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, हमने भूमि कानून को बदल दिया। अब स्थिति ऐसी है कि उद्योगों को कश्मीर के अंदर स्थापित किया जा सकेगा।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए 2022 तक 25,000 सरकारी नौकरियां पैदा की जाएंगी और पिछले 17 महीनों में लगभग 3,000 नौकरियां पहले ही दी जा चुकी हैं।

मंत्री ने कहा, 8.45 किलोमीटर लंबी बनिहाल सुरंग को इस साल खोलने की योजना है और हम 2022 तक कश्मीर घाटी को रेलमार्ग से जोड़ने जा रहे हैं।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और केंद्र शासित प्रदेश में बहुत सारी विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। इसके साथ ही शाह ने इस बात पर जोर दिया कि विकास दूर-दराज के इलाकों तक भी पहुंचेगा।

मंत्री ने कहा कि जिन तीन परिवारों ने जम्मू-कश्मीर पर 70 वर्षों तक शासन किया, उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र को विकसित करने या रोजगार प्रदान करने के लिए कुछ नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि कोई भी बड़ा कारोबारी पहले जम्मू-कश्मीर में निवेश नहीं करना चाहता था, लेकिन धारा 370 के निरस्त होने के बाद कई कारोबारी वहां निवेश कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। यह अनुच्छेद समाप्त करने के बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। इस कदम के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की है।

मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएमडीपी (प्रधानमंत्री विकास पैकेज) के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय से जम्मू एवं कश्मीर को 881 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

शाह ने कहा कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज को फिर से शुरू किया गया है। लगभग 3,650 सरपंच और 33,000 पंच चुने गए हैं। उन्होंने कहा, अब राजा और रानी के वंश से कोई नेता नहीं होगा, नेता को वोट से चुना जाएगा।

मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने लगभग 1,500 करोड़ रुपये सीधे बैंक खातों में डाल दिए हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर में गांवों के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

शाह ने कहा कि आईआईटी जम्मू ने अपने कैंपस में कक्षाएं शुरू कर दी हैं और दोनों एम्स का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।


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