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ड्रोनों के नागरिक इस्तेमाल के नियमन के लिए डिजिटल स्पेस की अवधारणा पर विचार

मानवरहित विमानों यानी ड्रोनों के नागरिक इस्तेमाल के नियमन के लिए सरकार ‘डिजिटल स्पेस’ की अवधारणा पर विचार कर रही है ताकि ऑपरेटर पहले से तय सीमा और फ्लाइट प्लान के अनुरूप ही उनका परिचालन कर सकें

ड्रोनों के नागरिक इस्तेमाल के नियमन के लिए डिजिटल स्पेस की अवधारणा पर विचार
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नयी दिल्ली। मानवरहित विमानों यानी ड्रोनों के नागरिक इस्तेमाल के नियमन के लिए सरकार ‘डिजिटल स्पेस’ की अवधारणा पर विचार कर रही है ताकि ऑपरेटर पहले से तय सीमा और फ्लाइट प्लान के अनुरूप ही उनका परिचालन कर सकें।

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने आज यहां ड्राेनों के लिए जारी प्रारूप नियमों पर ड्रोन उद्योग के प्रतिनिधियों तथा अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस साल 01 नवंबर को प्रारूप नियम जारी करने के बाद से ही ड्रोन उद्योग तथा संभावित ऑपरेटरों ने इसमें काफी रुचि दिखाई है। इसके मद्देनजर उम्मीद है कि आरंभ से ही देश में ड्रोनों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में होगा। उन्होंने कहा “हम इसके नियमन के लिए डिजिटल स्पेस की अवधारणा पर विचार कर रहे हैं। दुनिया के दूसरे कई देश भी इस अवधारणा पर काम कर रहे हैं।”

सिन्हा ने कहा कि डिजिटल स्पेस ड्रोन के इस्तेमाल के लिए खुले वायु क्षेत्र डिजिटल त्रिआयामी चित्र है जिसका हर बिन्दु डिजिटल माध्यम पर पहले से ही अंकित होगा। जब ऑपरेटर फ्लाइट प्लान नागर विमानन महानिदेशालय के पास जमा करायेगा तो उसे बताना होगा कि उसका ड्रोन इनमें से किन बिंदुओं से होता हुआ गुजरेगा।

सॉफ्टवेयर और जमीन पर स्थित राडारों से इस बात पर नजर रखी जा सकेगी कि ड्रोन डिजिटल स्पेस में फ्लाइट प्लान में बताये गये मार्ग से गुजर रहा है या नहीं। सरकार ने एक नवंबर को ड्रोन संबंधी नियमों का प्रारूप जारी किया था। इस पर एक महीने के भीतर संबद्ध पक्षों से सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित की गयी हैं। साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय लगातार हितधारकों से चर्चा कर रहा है। इस साल 31 दिसंबर तक अंतिम नियम जारी होने की उम्मीद है।

सिन्हा ने बताया कि आज की चर्चा के दौरान और ऑनलाइन भी कई तरह की टिप्पणियां आई हैं। कुछ सुझाव नैनो और माइक्रो श्रेणी में ड्रोनों के अधिकतम वजन की सीमा बढ़ाने के लिए भी आये हैं। प्रस्तावित नियम के अनुसार, वजन के हिसाब से ड्रोनों को पाँच श्रेणियों में रखा गया है और उसी हिसाब से उनके पंजीकरण तथा इस्तेमाल के नियम भी अलग-अलग होंगे। ढाई सौ ग्राम तक के ड्रोन नैनो, 250 ग्राम से ज्यादा और दो किलोग्राम तक के माइक्रो, दो किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक के मिनी, 25 किलोग्राम से 150 किलोग्राम तक के स्मॉल और 150 किलोग्राम से ज्यादा वजन वाले लार्ज श्रेणी में होंगे। नैनो और माइक्रो ड्रोनों के लिए नियम और अनिवार्यताएँ काफी सरल हैं।

सिन्हा ने कहा कि सभी सुझावों पर विचार किया जायेगा और उसके बाद ही नियमों को अंतिम रूप दिया जायेगा। प्रारूप नियमों के अनुसार, सभी ड्रोनों का इस्तेमाल सिर्फ दृश्य सीमा तक दिन में ही किया जा सकेगा। इन्हें 200 फुट से कम ऊँचाई पर उड़ाना होगा। नैनो ड्रोनों के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी जबकि अन्य सभी श्रेणी के ड्रोनों का पंजीकरण डीजीसीए के पास कराना जरूरी होगा। मिनी तथा इससे बड़े ड्रोनों को अनमैंड एयरक्राफ्ट ऑपरेटर पर्मिट लेना होगा और उनके रिमोट पायलट को भी प्रशिक्षण लेना होगा।

नैनो को छोड़कर अन्य श्रेणी के ड्रोनों में आईडी प्लेट, जीपीएस, आरएफआईडी या सिम, घर वापसी का विकल्प और एंटी कोलिजन लाइट का होना जरूरी है। इनके लिए स्थानीय पुलिस की अनुमति भी आवश्यक होगी। मिनी तथा बड़े ड्रोनों को फ्लाइट प्लान भी फाइल करनी होगी।


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