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20 हजार के ऋण पर वसूलें डेढ़ लाख रु..नहीं उपलब्ध कराया

20 हजार रु. के ऋण पर डेढ़ लाख रु. की वसूली करने और ऋण खाता का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराए जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आदेश पारित किया गया है

20 हजार के ऋण पर वसूलें डेढ़ लाख रु..नहीं उपलब्ध कराया
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दुर्ग। 20 हजार रु. के ऋण पर डेढ़ लाख रु. की वसूली करने और ऋण खाता का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराए जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आदेश पारित किया गया है। फोरम ने भिलाई नागरिक सहकारी बैक को एक माह की अवधि में ऋण खाता का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही ऋण राशि से वसूल की गई अधिक राशि को वापस करने और इससे हुई मानसिक वेदना के लिए 25 हजार रु. का हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया है।

फोरम में दाखिल प्रकरण के अनुसार दल्लीराजहरा निवासी बीएसपी कर्मी कन्हैया लाल आर्य के ससुर जे.एन. टंडन द्वारा 4 सितंबर 2000 में भिलाई नागरिक सहकारी बैंक से 20 हजार रु. का ऋण लिया गया था। इस ऋण के लिए बतौर जमानतदार दामाद कन्हैया लाल थे। जमानतदार के बैंक खाता से ऋण के किश्त प्रतिमाह 709 रु. की रकम की कटौती 4 अक्टूबर 2000 से की जानी थी। इस कटौती के अनुसार ऋण का निराकरण 3 अगस्त 2003 तक होना था।

जमानतदार की अनुमति के बावजूद बैंक द्वारा निर्धारित अवधि में प्रति माह किस्त की कटौती नहीं की गई। जिसके बाद बिना किसी सक्षम अधिकारी की सहमति से कन्हैया लाल के वेतन खाता से राशि की कटौति प्रारंभ कर दी गई। 20 हजार रु. ऋण के ऐवज में लगभग डेढ़ लाख रु. की रकम का आहरण कर लिया गया। इस संबंध में अधिवक्ता के रजिस्टर्ड नोटिस के बाद भी ऋण खाता के ऐवज की गई कटौती की राशि की विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं कराए जाने पर प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्ुतुत किया गया था।

प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष मैत्रेयी माथुर ने भिलाई नागरिक सहकारी बैंक द्वारा ऋण वसूली की इस कार्यप्रणाली को व्यवसायिक दुराचरण तथा जानकारी उपलब्ध नहीं कराए जाने को सेवा में कमी की श्रेणी में माना। फोरम ने बैंक प्रबंधन को एक माह की अवधि में ऋण खाता संपूर्ण ब्यौरा उपलब्ध कराने तथा वसूल की गई अधिक राशि को वापस करने का आदेश दिया है। इसके अलावा इससे वादी को हुई मानसिक वेदना के लिए क्षतिपूर्ति के रुप में 25 हजार रु. तथा वाद व्यय की राशि 10 हजार रु. का भुगतान करने का निर्देश दिया है।


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