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विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में वाईएसआरसीपी के बागी सांसद को राहत

आंध्र प्रदेश के सांसद के. रघुराम कृष्ण राजू को विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को पेशी से छूट दे दी है।

विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में वाईएसआरसीपी के बागी सांसद को राहत
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हैदराबाद, 29 नवंबर: आंध्र प्रदेश के सांसद के. रघुराम कृष्ण राजू को विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को पेशी से छूट दे दी है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के बागी सांसद को एसआईटी ने सूचित किया किया कि उन्हें मंगलवार को जांच दल के सामने पेश होने की जरूरत नहीं है।

सहायक पुलिस आयुक्त गंगाधर ने इस संबंध में लोकसभा सदस्य को एक मेल भेजा है। राजू को बताया गया कि उन्हें बाद में सूचित किया जाएगा कि उन्हें पूछताछ के लिए कब उपलब्ध होना है।

एसआईटी ने पिछले हफ्ते नरसापुरम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य राजू को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया था। उन्हें 29 नवंबर को हैदराबाद में एसआईटी अधिकारियों के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था।

जांच टीम ने कथित तौर पर उन्हें मामले के आरोपियों के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछताछ करने के लिए बुलाया था।

राजू सातवें व्यक्ति हैं जिन्हें एसआईटी ने पूछताछ के लिए बुलाया है।

इस मामले के तीन आरोपियों में से एक वकील भुसारापु श्रीनिवास और प्रताप गौड़ और नंद कुमार की पत्नी चित्रलेखा अब तक एसआईटी के सामने पेश हुए हैं।

भाजपा महासचिव बी.एल. संतोष, भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के अध्यक्ष तुषार वेल्लापल्ली और केरल के एक डॉक्टर जग्गू स्वामी अभी पेश नहीं हुए हैं।

एसआईटी ने केरल में भाजपा के सहयोगी तुषार और जग्गू स्वामी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया है।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह संतोष को एसआईटी के नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, सिंहयाजी और नंद कुमार को साइबराबाद पुलिस ने 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया था, जब वे कथित रूप से टीआरएस के चार विधायकों को दल बदलने के लिए मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।


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