असली शिक्षा चरित्र निर्माण में सहायक होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सही शिक्षा चरित्र, क्षमता, बुद्धि और आचरण के निर्माण में सहायक होनी चाहिए

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सही शिक्षा चरित्र, क्षमता, बुद्धि और आचरण के निर्माण में सहायक होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न व्यवसायों में कौशल प्राप्ति भारत के लिए निर्माण तथा सेवा क्षेत्रों में शीर्ष देशों में ऊभर कर आने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने बुधवार को बिरला प्रबंध एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, नोएडा के वार्षिक दीक्षांत समारोह में कहा कि भारत की अत्यधिक युवा मानव संसाधन पूंजी हमारी सबसे बड़ी सम्पदा है तथा देश को राष्ट्र के जनसांख्यिकीय लाभांश का प्रभावशाली ढंग से उपयोग करने में समर्थ होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि यह सम्पन्न मानवीय सामथ्र्य है जो कई गुणा शक्ति में तभी तब्दील हो सकती है जब युवा वर्ग पर्याप्त कौशल और विशेषज्ञता हासिल कर ले, जो उद्योग, कृषि और सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के अनुरूप हों।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा संस्थानों से कहा कि वे कल के विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए अपने पाठ्यक्रमों तथा अध्यापन के तरीकों को नया रूप दें, ताकि उनमें न केवल सुस्पष्टता और आत्मविश्वास ही आए बल्कि वे 21वीं सदी की चेतावानियों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हों। उन्होंने कहा कि हमें सभी सत्रों पर एक स्थायी और आगे विस्तार वाली शैक्षणिक अवसंरचना की आवश्यकता है। भारत सरकार इस तात्कालिक आवश्यकता के प्रति बहुत जागरूक है। उन्होंने आगे कहा कि बीमटेक जैसे प्रबंध संस्थानों में अनुसंधान प्रकाशनों पर अधिक ध्यान बढ़ाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कौशल विकास के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सरकार शैक्षणिक तथा व्यवसायिक निकायों के साथ मिलकर कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए नैस्कॉम (एनएएसएससीओएम) जैसे संस्थानों के साथ मिलकर विभिन्न योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि कौशल भारत कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में कौशल की कमी को पूरा करने के लिए है तथा इस प्रकार की पहलों की प्रगति निरंतर मॉनिटर की जा रही है और जहां जरूरत पड़ती है वहां पाठ्यक्रमों में संशोधन किया जा रहा है।


