रावण की आंखें नाचेंगी
शहर में रावण दहन कार्यक्रम के जोरदार तैयारियां चल रही है। इसमें मुख्य समारोह स्थल डब्ल्यूआरएस कॉलोनी, शंकर नगर बीटीआई मैदान, रावण भाठा दशहरा मैदान तथा अन्य स्थान पर पुतले का दहन होगा

रायपुर। शहर में रावण दहन कार्यक्रम के जोरदार तैयारियां चल रही है। इसमें मुख्य समारोह स्थल डब्ल्यूआरएस कॉलोनी, शंकर नगर बीटीआई मैदान, रावण भाठा दशहरा मैदान तथा अन्य स्थान पर पुतले का दहन होगा। इस बार 30 सितम्बर के दिन रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित होना है। जिसमें डब्ल्यूआरएस कॉलोनी रावण दहन में इस वर्ष रावण के पुतले आंखें नाचेंगी और मेघनाथ-कुंभकरण के मुंह से अंगारे निकलेगी। हर वर्ष ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है। इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 101 फीट होगी। जबकि कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले 85-85 फीट के होंगे।
आयोजन समिति के प्रमुख सत्यम दुआ व अतुल जैन के अनुसार रावण दहन कार्यक्रम शाम 5 बजे प्रारंभ होगा। जिसमें राज्य के राज्यपाल बलराम दासजी टंडन मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर सहित कई गणमान्य अतिथि मंच पर मौजूद रहेंगे। दूसरी तरफ दशहरा मैदान रावण भाठा में आयोजन के प्रमुख पार्षद देवेंद्र यादव, मनोज प्रजापति ने बताया कि यहां पर मुख्य कार्यक्रम शाम 5 बजे प्रारंभ होगा।
इसमें महापौर प्रमोद दुबे को आमंत्रित किया गया है। साथ ही मंच में कई महत्वपूर्ण अतिथि मौजूद रहंगे। शंकर नगर बीटीआई मैदान में आयोजित दशहरा उत्सव के अतिथि संजय श्रीवास्तव आरडीए अध्यक्ष होंगे। साथ ही कई स्थानों पर पतंगबाजी के कार्यक्रम भी रखे गये है। नगर निगम के पूर्व पार्षद मनोज कंदोई के अनुसार पतंगबाजी का कार्यक्रम दोपहर बाद प्रारंभ हो जायेगा और आयोजन के पहले तक जारी रहेगा। इसमें बड़ी संख्या में पतंगबाजों ने हिस्सा लिया है और इस परंपरा को जीवित रखने के प्रयास चल रहा है। इसके अलावा नगर के अनेक स्थानों पर मोहल्ले, कालोनी, बस्ती में रावण के पुतले का दहन परंपरानुसार किया जाता है। जो इस वर्ष भी होंगे। बड़ी मात्रा में बढ़ईपारा में पुतले तैयार किये गये है और उनकी खरीदी बिक्री चल रही है। बच्चों के काफी रूचि का विषय होता है। क्योंकि बच्चों को आनंद मिलता है। यहां तक कि डब्ल्यूआरएस, शंकर नगर और दशहरा मैदान टिकरापारा में लाखों की संख्या में भीड़ जुटती है।
सोन पत्ती देकर बधाईयां दी जाएंगी
दशहरा उत्सव में रावण के पुतले के दहन के बाद लंका विजय पर यह परंपरा रही है कि घर लौटकर बड़े बुजुर्गों को सोन पत्ती देकर आशीर्वाद लिये जाते है। साथ ही अन्य स्नेह मित्रों को व पारिवारिकजनों को सोन पत्ती बांटकर बधाई देने की परंपरा रही है। यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है इस दृष्टि से काफी लोग शामिल होते हैं।


