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यूपी में राशन घपला पर कसी लगाम, देश में सबसे पारदर्शी वितरण प्रणाली

राशन वितरण के मामले में कभी सबसे ज्यादा घपलों के लिए चर्चित उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस)अब पूरी तरह दुरुस्त व पारदर्शी बन गई है

यूपी में राशन घपला पर कसी लगाम, देश में सबसे पारदर्शी वितरण प्रणाली
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नई दिल्ली। राशन वितरण के मामले में कभी सबसे ज्यादा घपलों के लिए चर्चित उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस)अब पूरी तरह दुरुस्त व पारदर्शी बन गई है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में देश में पहला राज्य है जहां सबसे पहले 99 फीसदी से अधिक लाभार्थियों को बायोमेट्रिक पहचान के जरिए राशन मिलने लगा। केंद्र सरकार में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि राशन वितरण प्रणाली को दुरुस्त बनाने में उत्तर प्रदेश की कामयाबी की कहानी बेशक विस्मयकारी है। प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (एनएफएसए) के तहत पीडीएस के 14.60 करोड़ लाभार्थियों को शतप्रतिशत पारदर्शी डिजिटल प्रोसेस के जरिए अनाज मिलने लगा है।

उन्होंने बताया कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले इस प्रदेश में राशन वितरण में लीकेज या घपले पूरी तरह बंद हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के करीब दो दशक के शासन काल के दौरान करोड़ों रुपये के पीडीएस से जुड़े अनके घोटालों में उच्च स्तरीय जांच करवाई गई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2014 में राशन से जुड़े एक घोटाले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इस घोटाले में शीर्ष स्तर के एक कैबिनेट मंत्री का भी नाम शामिल था।

उत्तर प्रदेश 2019 तक पीडीएस से जुड़े भ्रष्टाचार व घपलों के मामलों की फेहरिस्त में शीर्ष स्थान पर था जहां 328 मामले थे जबकि इस फेहरिस्त में दूसरे नंबर पर बिहार में 108 मामले थे।

मगर, राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने की कोशिश शुरू हुई और उत्तर प्रदेश में इस मामले में बड़ा बदलाव देखने को मिला।

केंद्रीय खाद्य सचिव ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैं राजनीतिक मसलों पर टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन पीडीएस को दुरुस्त करने और पारदर्शी बनाने के मामले में उत्तर प्रदेश में जो काम हुआ है उससे देश के दूसरे राज्यों को भी लीकेज बंद करने की दिशा में काम करने का एक नजरिया मिलेगा। उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी बायोमेट्रिक पहचान के जरिए करीब 99 फीसदी लाभार्थियों को राशन मिलने लगा है।"

मोदी सरकार एनएफएसए के लाभार्थियों को सस्ती दरों पर राशन मुहैया करवाने के लिए हर साल करीब दो लाख करोड़ रुपये खर्च करती है।

सुधांशु पांडेय 1987 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर (अब एजीएमयूटी में विलय हो गया है) के आईएएस अधिकारी हैं।

उन्होंने कहा, "एनएफएसए के तहत देश के करीब 79.39 करोड़ लोगों को सस्ती दरों पर अनाज मुहैया करवाया जाता है और दुनिया में अब तक इतना बड़ा इस तरह का कार्यक्रम नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि करीब 77 फीसदी (79.39 करोड़ का) लोगों को बायोमेट्रिक के जरिए अनाज मिलने लगा है। असली लाभार्थी को उनके हक का अनाज मिलने से वितरण प्रणाली में पारदर्शिता आई है।"

अपने कंप्यूटर के स्क्रीन पर निगाहें डालते हुए खाद्य सचिव ने कहा, "अब हम यह बता सकते हैं कि किस व्यक्ति को किस तारीख को कितना अनाज मिला।"

पीडीएस में बायोमेट्रिक सिस्टम को लागू नहीं करने में अब तक पीछे रहने वाले और मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन नेशन वन राशन कार्ड से अब तक नहीं जुड़ पाने वाले राज्यों के नाम पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ऐसे राज्य पश्चिम बंगाल, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और असम हैं।

वन नेशन वन राशन कार्ड से देश के 32 राज्य जुड़ चुके हैं और ये चारों राज्य जब जुड़ जाएंगे तो पूरे देश में यह योजना लागू हो जाएगी।


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