Top
Begin typing your search above and press return to search.

देव दीपावली पर राेशन होंगे मथुरा के घाट

तीन लोक से न्यारी मथुरा में यमुना के घाट मंगलवार को देव दीपावली के मौके पर एक बार फिर टिमटिमाते दीपकों से रोशन होंगे।

देव दीपावली पर राेशन होंगे मथुरा के घाट
X

मथुरा । तीन लोक से न्यारी मथुरा में यमुना के घाट मंगलवार को देव दीपावली के मौके पर एक बार फिर टिमटिमाते दीपकों से रोशन होंगे।

दरअसल, कान्हा की नगरी में दीपावली के एक पखवारे के बाद देव दीपावली पर्व पर देवगणों के अपने अपने स्थान जाने की खुशी में यमुना के तट पर दीपदान किया जाता हैं। ब्रजवासी यमुना तट पर इसे आशीर्वाद पर्व के रूप में मनाते हैं ।

देव दीपावली महोत्सव समिति के महामंत्री आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने रविवार को बताया कि यह पर्व इस बार 12 नवम्बर को यमुना तट पर मनाया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारंभ महामंडलेश्वर काण्र्णि स्वामी गुरू शरणानन्द महाराज करेंगे तथा इस अवसर पर ब्रज के अन्य संत गोपाल वैष्णव पीठाधीश्वर आचार्य डा पुरूषोत्तम लवन महराज, चतुःसम्प्रदाय वैष्णव परिषद के महन्त फूलडोल बिहारी महराज, उमाशक्ति पीठाधीश्वर संत रामदेवानन्द सरस्वती महराज, महामण्डलेश्वर स्वामी नवलगिरि महराज, स्वामी नारायण मंदिर के महंन्त स्वामी अखिलेश्वर दास महाराज भागवत शिरोमणि राजाबाबा महराज समेत ब्रज के कई संत भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
देव दीपावली के संबंध में वैसे तो कई कथाएं हैं पर मथुरा में देव दीपावली मनाने का कारण देवों का अपने अपने स्थान पर वापस जाना है।

इस संबंध में देव दीपावली महोत्सव समिति के अध्यक्ष पं0 सोहनलाल शर्मा एडवोकेट ने बताया कि एक बार वृद्ध नन्दबाबा और यशोदा मां ने कन्हैया से तीर्थाटन करने की इच्छा व्यक्त की। कन्हैया ने सोचा कि उनके माता पिता वृद्ध हो गए हैं और तीर्थाटन करने में उन्हें परेशानी होगी इसलिए उन्होंने सभी तीर्थों को ब्रज में ही प्रकट कर अपने माता पिता को तीर्थाटन करा दिया।
अपने माता पिता को तीर्थाटन कराने के बाद कन्हैया ने लीला की और तीर्थप्रयागराज को तीर्थों का राजा बनाकर कर वे उससे यह कहकर लीला करने चले गए कि उनकी गैरहाजिरी में वह तीर्थों को नियंत्रित करेगा। कुछ समय बाद जब वे वापस आए और उन्होंने प्रयागराज से तीर्थों के बारे में रिपोर्ट ली तो प्रयागराज ने कहा कि जहां सभी तीर्थों ने उनका कहना माना है वहीं मथुरा तीर्थ ने उनका कहना नही माना है। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने प्रयागराज से कहा कि उन्होंने उसे तीर्थों का राजा बनाया था पर अपने घर का राजा नही बनाया है। इस पर प्रयागराज को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से प्रायश्चित के रूप में आदेश देने का अनुरोध दिया। तब श्रीकृष्ण ने प्रयागराज से कहा कि चातुर्मास भर वह सभी तीर्थों के साथ ब्रज में रहेगा।
उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को चार माह पूरे होने पर जब देव अपने अपने स्थान जाते हैं तो उसकी खुशी में विश्राम घाट पर वे दीपदान करते है तथा ब्रजवासी देवताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए इसी प्रकार की कृपा भविष्य में भी बनाए रहने का अनुरोध करते हैं तथा कृतज्ञतापूर्वक दीपावली मनाते हैं।

देव दीपावली के संबंध में एक अन्य प्रसंग देते हुए ब्रज के महान संत बलरामदास बाबा ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का बध करके देवताओं को स्वर्ग लोक वापस दिला दिया था। इस पर तारकासुर का बध करने का बदला उसके तीन पुत्रों ने लिया और और उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर लिया और उनसे तीन नगर मांगे तथा यह कहा कि जब यह तीनों नगर अभिजीत नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना क्रेाध किये हुए कोई व्यक्ति ही उनका कोई व्यक्ति उनका बध कर पाएगा।
उन्होंने बताया कि इस वरदान को पाकर राक्षस त्रिपुरासुर खुद को अमर समझने लगा और देवताओं को परेशान करने लगा तथा उन्हें स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया। सभी देवता त्रिपुरासुर से परेशान होकर बचने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे। देवताओं का कष्ट दूर करने के लिए भगवान शिव स्वयं त्रिपुरासुर का बध करने पहुंचे और उसका अंत कर दिया। भगवान शिव ने जिस दिन त्रिपुरासुर का बध किया उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी। देवताओं ने त्रिपुरासुर के बध से खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी में दीपदान किया था तथा तभी से काशी में देव दीपावली मनाई जाती है।

मथुरा में देव दीपावली इस बार 12 नवम्बर को शाम पांच बजे से मनाई जाएगी। तीर्थ पुरोहित महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रयागनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि चेउच्ष्सय कर की साधनास्थली श्रीकृष्ण गंगा घाट से ध्रुव घाट तक हजारों की संख्या में दीप प्रज्वलित किये जाएंगे तथा उस समय मथुरा में मौजूद 33 करोड़ देवताओं से यमुना को प्रद्दूषण से मुक्ति दिलाने एवं राष्ट्र कल्याण की प्रार्थना की जाएगी। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्ग के लोग भाग लेकर आपसी सौहार्द्र को एक बार पुनः मजबूत करते हैं।ऐसे अवसर पर यमुना तट पर जो लोग दीपदान करते हैं उन्हें देव आशीर्वाद मिलता है इसलिए पिछले कुछ वर्षों से इसमें भाग लेने के लिए तीर्थयात्री भी आने लगे हैं तथा उनकी संख्या हर साल बढ़ रही है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it