सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण होगा रामगढ़ महोत्सव
प्रभारी कलेक्टर एवं जिला पंचायत सरगुजा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग पाण्डेय की अध्यक्षता में जिला पुरातत्व संघ की बैठक जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित की गई....

अम्बिकापुर। प्रभारी कलेक्टर एवं जिला पंचायत सरगुजा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग पाण्डेय की अध्यक्षता में जिला पुरातत्व संघ की बैठक जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित की गई। इस अवसर पर सरगुजा पुरातत्व संघ के सदस्यों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी दो दिवसीय रामगढ़ उत्सव आयोजन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये।
प्रभारी कलेक्टर ने बैठक को सम्बोधित करते हुये कहा कि रामगढ़ उत्सव के आयोजन में संघ के सदस्यों द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के दौरान देश के नामचीन्ह कलाकारों के साथ ही लोकप्रिय स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाने का अवसर प्राप्त होगा तथा यह कार्यक्रम सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण होगा। श्री पाण्डेय ने बताया कि उत्सव आयोजन के संबंध में प्रभावी प्रचार माध्यमों द्वारा प्रचार-प्रसार किया जायेगा। रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड तथा चौक-चौराहों सहित महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर आयोजन के संबंध में होडिंग्स लगाये जायेंगे। सहायक कलेक्टर नितिन गौड़ ने बैठक को सम्बोधित करते हुये कहा कि रामगढ़ महोत्सव आयोजन की प्रस्तुति को आकर्षक एवं लोकप्रिय बनाने के लिए सदस्यों के महत्वपूर्ण सुझावों पर सार्थक कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन का प्रचार-प्रसार दूसरे राज्यो में भी किया जाना चाहिए ताकि लोग छुट्टियों के अवसर पर इस आयोजन में उत्सुकता से शामिल हो सकें। समिति के सदस्य आलोक दुबे ने सुझाव देते हुये कहा कि प्रत्येक वर्ष के कार्यक्रम में एकरूपता सी रहती है, अतएव कार्यक्रम में बदलाव करते हुये विविधतापूर्ण आयोजन किये जायें। वरिष्ठ साहित्यकार जेएन मिश्र ने कहा कि रामगढ़ उत्सव आयोजन के लिए वर्ष में एक बार बैठक कर चिंतन की जाती है। उन्होंने कहा कि वर्ष में कम से कम वर्ष में 3 से 4 बैठकें अवश्य की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत शोधपत्र टेबल वर्क जान पड़ते हैं। वास्तव में शोध अथवा आलेख जीवंत हों। उन्होंने इस वर्ष शोध के लिए आंचलिक गीतों में रामगढ़ का पौराणिक महत्व एवं रामगढ़ की पूरा सम्पदा और ऐतिहासिक मानक नामक दो विषयों के सुझाव दिये। करता राम गुप्ता ने अपने सुझाव में कहा कि पुरातत्व समिति के सदस्यों को पुरातत्व सम्पदाओं का अवलोकन कराना चाहिए तथा प्रतिवर्ष किये जाने वाले आयोजन के आय-व्यय में भी पूरी पारदर्शिता बरतना चाहिए।
साहित्यकार डॉ. नीरज वर्मा ने कहा कि रामगढ़ उत्सव के दौरान राष्ट्रीय एवं लोकप्रिय स्थानीय कवियों का सम्मेलन कराया जाना श्रेयष्कर होगा। उन्होंने कहा कि शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए सम्पादक दल का गठन किया जाना चाहिए। प्राचार्य श्रीष मिश्रा ने बताया कि रामगढ़ के ऐतिहासिक एवं पुरातत्वीक महत्व पर आधारित उनके द्वारा 5-7 मिनट की डाक्यूमेन्ट्री फिल्म बनायी जा रही है। जो समय आने पर यू-ट्यूब सहित अन्य माध्यमों द्वारा देखी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि उत्सव आयोजन के दौरान रामगढ़ से जुड़े छायाचित्रों एवं पुरातात्वीक सामग्रियों की प्रदर्शनी भी लगायी जानी चाहिए। आकाशवाणी अम्बिकापुर के सेवानिवृत्त उदघोषक शोभनाथ साहू ने बताया कि स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा लोक गीतों में रामगढ़ के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया जाता है। आयोजन के दौरान ऐसे लोक गीतों की प्रतिस्पर्धा करायी जा सकती है।
अमलेन्दु मिश्र ने अपने सुझाव में कहा कि इस आयोजन में सरकारी अमले के साथ ही स्थानीय गणमान्य नागरिकों की सहभागिता आवश्यक है। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसके त्रिपाठी ने शोध पत्र और शोध आलेख में अंतर स्पष्ट करते हुये कहा कि कुछ लोगों द्वारा शोध आलेख को ही शोध पत्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने चयनित शोध पत्रों का प्रकाशन कराने का आग्रह किया। बैठक में नोडल अधिकारी एवं डिप्टी कलेक्टर आरएन पाण्डेय, हस्तशिल्प बोर्ड के उप संचालक जितेन्द्र सिंह, जिला परियोजना अधिकारी गिरीश गुप्ता, सहायक संचालक श्रीमती एस तिर्की सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।


