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राम मंदिर मसले से पीछे हटने का है दबाव : वसीम रिजवी

अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के मामले में बोर्ड का दावा वापस लेने के लिए उन पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है

राम मंदिर मसले से पीछे हटने का है दबाव : वसीम रिजवी
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लखनऊ। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के मामले में बोर्ड का दावा वापस लेने के लिए उन पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें कभी धमकाया जा रहा है तो कभी फतवे के जरिए डराकर कदम पीछे हटाने के लिए कहा जा रहा है।

रिजवी का यह बयान शिया समुदाय के सर्वाच्च धर्मगुरु इराक के अयातुल्लाह अल सैयद अली अल हुसैनी अल शीस्तानी के उस फतवे के बाद आया है, जिसमें कहा गया कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वक्फ की संपत्ति राम मंदिर या किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए नहीं दे सकते हैं।

रिजवी ने कहा कि उन पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा इसलिए दबाव बनाया जा रहा है, ताकि शिया वक्फ बोर्ड डरकर अपना हलफनामा सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ले।

उन्होंने कहा, "पहले दाऊद इब्राहीम द्वारा मुझे मारने की धमकी दी गई। फिर दाऊद के पांच लोग मेरी हत्या करवाने के लिए भेजे गए जो गिरफ्तार कर लिए गए। फिर पाकिस्तान से जमाअते इस्लामी से धमकी भरा मेल आया, जिसमें कहा गया कि मेरी मौत पर पाकिस्तान में जश्न मनाया जाएगा। अब इराक से अयातुल्लाह शीस्तानी साहब का फतवा आया है।"

रिजवी ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का समर्थन करता है और बोर्ड भारतीय संविधान के बने कानून के तहत चलेगा। वह आतंकियों के दबाव व डर और फतवे के अनुसार नहीं चलेगा।

उन्होंने कहा, "अयातुल्लाह शीस्तानी साहब का फतवा उन्हें गुमराह करके मंगवाया गया है, ताकि शिया वक्फ बोर्ड पर दबाव बनाया जा सके। हम इसको नहीं मानते।"

रिजवी ने कहा कि राम मंदिर, राम जन्मभूमि अयोध्या में बनाया जाना हिंदू समाज की आस्थाओं के अनुसार उनका अधिकार है और शिया वक्फ बोर्ड अपनी जिम्मेदारी देशहित में निभा रहा है।

गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का समर्थन करते हुए हलफनामा दाखिल किया है। रिजवी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड के सुन्नी पक्षकारों से अलग रुख रखने की वजह से बाबरी मस्जिद के पैरोकारों का पक्ष कमजोर हो गया है, इसलिए उन पर तरह-तरह का दबाव बनाया जा रहा है।


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