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गृहस्थ को राममय बनाना ही राम की सच्ची सेवा है : शास्त्री

 संसार के समस्त प्राणी कर्म वश जन्म लेते हैं। पर भगवान का जन्म होता है - करूणावश

गृहस्थ को राममय बनाना ही राम की सच्ची सेवा है : शास्त्री
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खरोरा। संसार के समस्त प्राणी कर्म वश जन्म लेते हैं। पर भगवान का जन्म होता है - करूणावश। सबसे पहले ब्रम्ह था- केवल ब्रम्ह और कुछ भी नहीं वही ईश्वर कहलाये, फिर अवतार लेकर भगवान कहलाये भगवान अजन्मा है , फिर भी संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए भगवान अवतार भी लेते हैं।

नारायण का बीसवा अवतार श्री कृष्ण पूर्णावतार के रूप में द्वापर युग में जन्म लिए। अधर्म और पाप का भार उतारने भगवान इस धरा पर जन्म भी लेते हैं । ये बाते ग्राम केसला शास्त्री चौक में स्वर्गीय श्रीमती केजिया बाई देवांगन की स्मृति में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वेदव्यास आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहीं।

आचार्य द्वारा राजेंद्र पर कृपा, समुद्र मंथन, वामन अवतार , कृष्णा प्राकट्य की कथा का विस्तार कर बताया कि भगवान अपने भक्तों पर कृपा करने अवतार लेते हैं , भक्त ही भगवान को सातवें आसमान से नीचे उतर लाता है द्य सर्वस्व समर्पण करने पर परमात्मा भी ऋणी बन जाते हैं , राजा बलि पर कृपा कर भगवान स्वयं पातालपुरी चले गए और द्वारपाल बनने गए थे द्य नवम स्कंध की कथा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा - भागवत मर्मज्ञ - आचार्य राजेंद्र महाराज द्वारा वर्णन किया गया कि -भारत भूमि सुप्रभात का पहला शब्द है - राम।

मर्यादा पालन कर अपने घर- गृहस्थ को राममय बनाना ही राम की सच्ची सेवा है। श्री राम के आदर्शों से व्यक्ति व्यक्ति का जीवन अनुप्रमाणित होगा तभी सभ्य समाज वह सुसंस्कृत राष्ट्र का निर्माण होगा द्य श्रीमद् भागवत के चौथे दिन की कथा में बताया गया।



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