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रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए राजनाथ ने उद्योग जगत से सहयोग मांगा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भारतीय रक्षा उद्योग से नए निवेश करने और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए अनुसंधान और विकास पर अधिक जोर देने का आह्वान किया

रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए राजनाथ ने उद्योग जगत से सहयोग मांगा
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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भारतीय रक्षा उद्योग से नए निवेश करने और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए अनुसंधान और विकास पर अधिक जोर देने का आह्वान किया।

सिंह ने यहां पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडी-सीसीआई) के 117वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "नए निवेश करें, अनुसंधान और विकास पर अधिक जोर दें, और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करें। आपका यह प्रयास न केवल रक्षा उद्योग के लिए, बल्कि समग्र विकास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगा।"

मंत्री ने कहा कि पीएचएडी-सीसीआई सबसे पुराने उद्योग संघों में से एक है जिसमें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सदस्य हैं जो भारतीय रक्षा उद्योग के राजदूत के रूप में कार्य कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, "आपकी जड़ें देश-विदेश में दूर-दूर तक फैली हुई हैं। आप सभी घरेलू और विदेशी कंपनियों के साथ संवाद स्थापित करके, उन्हें भारतीय रक्षा उद्योग से जोड़कर और इन दोनों के बीच एक सेतु का काम करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं।"

सिंह ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में लगातार प्रगति कर रहा है।

"अतीत में या तो निजी क्षेत्र के लिए रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने का कोई रास्ता नहीं था, और अगर कुछ गुंजाइश भी थी, तो उद्योग विभिन्न कारणों से रक्षा क्षेत्र में पैर जमाने के लिए तैयार नहीं था।"

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने इन बाधाओं को दूर किया है और निजी उद्योग के मामले में इनक्यूबेटर, उत्प्रेरक, उपभोक्ता और फैसिलिटेटर की भूमिका निभाई है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत, पुरानी परंपराओं को बदलने और एक विनिर्माण माहौल बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र भाग ले सकते हैं।

रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए दूरगामी सुधारों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी प्रयोगशालाओं को निजी उद्योग के लिए खोला गया, शून्य शुल्क पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की गई, परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच प्रदान की गई और डीआरडीओ के माध्यम से अग्रिम धन मुहैया कराया गया।


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