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राजनाथ ने कठिन इलाके में अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सेना की सराहना की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को यहां भारतीय सेना स्कीइंग अभियान, आर्मेक्स-21 का समापन किया

राजनाथ ने कठिन इलाके में अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सेना की सराहना की
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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को यहां भारतीय सेना स्कीइंग अभियान, आर्मेक्स-21 का समापन किया। आर्मेक्स-21 का आयोजन देश व भारतीय सेना में साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हिमालयी क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाओं में किया गया था। इस अभियान को 10 मार्च, 2021 को लद्दाख के काराकोरम र्दे पर रवाना किया गया था और छह जुलाई, 2021 को उत्तराखंड के मलारी में यह समाप्त हुआ।

इस अभियान के तहत 119 दिनों में 1,660 किलोमीटर की दूरी तय की गई। इस अभियान के दौरान दल ने 5,000-6,500 मीटर के कई दरें, ग्लेशियरों, घाटियों और नदियों के जरिए यात्रा की।

वहीं इस दल ने दूर-दराज के इलाकों की स्थानीय आबादी से भी बातचीत की। यह अभियान अंतरराष्ट्रीय सीमा और भीतरी इलाकों के अब तक अज्ञात क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में सक्षम था।

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों के साहस, समर्पण और भावना की सराहना की और संतोष व्यक्त किया कि देश की रक्षा और सुरक्षा सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आर्मेक्स-21 की सफलता पूरे देश में साहसी लोगों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी।

इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने चुनौतीपूर्ण अभियान के सफल समापन पर दल को बधाई दी और उनके साहस व लचीलेपन की सराहना की। इस अभियान को असाधारण बताते हुए उन्होंने कहा कि दल ने न केवल एक रोमांचक यात्रा पूरी की, बल्कि इस क्षेत्र का एक ऑपरेशनल रेकी का भी संचालन किया है।

इस दल के यात्रा अनुभवों को साझा करते हुए, टीम लीडर मेजर ए. के. सिंह ने कहा कि ऐसे कई मौके आए जब उनके संकल्प की परीक्षा हुई। दल ने गढ़वाल में कालिंदी खाल (र्दे) को पार करते समय सबसे कठिन क्षणों में से एक का सामना किया था।

उन्होंने आगे कहा कि दल को अत्यधिक बफार्नी तूफान की स्थितियों के चलते 5,500 मीटर की ऊंचाई पर शिविर लगाना पड़ा। दल के नेता ने दूरदराज के इलाकों में रहने वाले नागरिकों के साथ बातचीत को एक नया अनुभव बताया।

उन्होंने बताया कि उनकी सादगी और सहायता करने वाला व्यवहार दिल को छू लेने वाला था। मेजर सिंह ने आगे कहा कि इस अभियान ने सीमांत आबादी को करीब लाने का काम किया और जरूरत होने पर भारतीय सेना की उन तक पहुंचने की क्षमता को लेकर उनके विश्वास को मजबूत किया है।

वहीं अभियान दल के सदस्यों ने बताया कि कैसे ऊंचे पहाड़ों में लंबी दूरी तय करना चोटियों पर चढ़ाई से अलग है, जो पहाड़ों में साहसिक गतिविधि का अधिक सामान्य रूप है।

उन्होंने कहा कि स्की पर तिरछे चलने के समान और कोई भी गतिविधि आपके संयम की परीक्षा नहीं ले सकती है। दल लंबे समय तक रसद और बचाव दल की पहुंच से बाहर रही, जिससे टीम के प्रत्येक सदस्य द्वारा 30 किलोग्राम से अधिक भार वहन करना जरूरी हो गया। चोटियों की चढ़ाई के विपरीत जहां दल का एक बहुत छोटा हिस्सा वास्तव में चोटी पर चढ़ता है, वहीं स्की पर तिरछे होकर लंबी दूरी तय करने में पूरी टीम साहसिक गतिविधि को पूरा करती है। दल ने जोर दिया कि इस अभियान में टीम भावना महत्वपूर्ण थी।

अभियान दल के सदस्यों ने रक्षा मंत्री को बताया कि कैसे वे स्की के उपयोग से लंबी दूरी तय करने में सक्षम हुए हैं। एक मौके पर उन्होंने लमखागा र्दे को पार करते हुए एक दिन में 66 किलोमीटर की दूरी तय की, जो पूरे अभियान के दौरान एक दिन में उनके द्वारा तय की गई सबसे लंबी दूरी थी।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री सिंह ने आर्मेक्स-21 की टीम के सदस्यों को सम्मानित भी किया।


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