राजनाथ ने 17.78 लाख एकड़ भूमि के सर्वेक्षण के लिए रक्षा संपदा कर्मियों को सम्मानित किया
आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए 17.78 लाख एकड़ रक्षा भूमि (डिफेंस लैंड) का सफलतापूर्वक सर्वेक्षण किया

नई दिल्ली। आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए 17.78 लाख एकड़ रक्षा भूमि (डिफेंस लैंड) का सफलतापूर्वक सर्वेक्षण किया। इस उपलब्धि की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 38 रक्षा संपदा कार्यालयों और चार सहायक रक्षा संपदा कार्यालयों के 11 अधिकारियों और 24 कर्मियों को सम्मानित किया है।
सिंह ने गुरुवार को यहां डिफेंस एस्टेट के कर्मियों को सर्वेक्षण के सफल समापन में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया।
रक्षा सम्पदा कार्यालय के दस्तावेजों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में 17.99 लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से 1.61 लाख एकड़ जमीन देशभर के 62 अधिसूचित छावनियों में स्थित है। लगभग 16.38 लाख एकड़ जमीन छावनियों के कई हिस्सों में स्थित है। कुल 16.38 लाख एकड़ जमीन में से लगभग 18,000 एकड़ जमीन को या तो राज्य ने किराये पर ले रखा है या अन्य सरकारी विभागों को स्थानांतरित किये जाने के कारण उन्हें दस्तावेज से निकालना बाकी रह गया है।
सर्वेक्षण का काम 17.78 लाख एकड़ में पूरा कर लिया गया है, जो अपने आप में महžवपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि आजादी के बाद पहली बार पूरी रक्षा जमीनों का सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें विभिन्न राज्य सरकारों के राजस्व अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
पुरस्कृतों को बधाई देते हुये राजनाथ सिंह ने रक्षा सम्पदा कर्मियों की प्रशंसा की कि उन लोगों ने गैर-आबाद और दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसमी हालात तथा कोविड-19 महामारी के खतरे के बावजूद यह काम पूरा किया।
उन्होंने सर्वेक्षण को ऐतिहासिक बताया और विश्वास व्यक्त किया कि रक्षा जमीनों का स्पष्ट सीमांकन इन इलाकों की सुरक्षा तथा विकास के लिये महžवपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के जरिये जमीन की सटीक नपाई संभव हुई और विश्वसनीय दस्तावेज तैयार हो सके। इस तरह जमीन के विवादों को हल करने में लगने वाली ऊर्जा, धन और समय की बचत होगी।
रक्षामंत्री ने इस तरह के सर्वेक्षण में पहली बार ड्रोन इमेजरी, उपग्रह इमेजरी और 3-डी मॉडलिंग तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिये रक्षा सम्पदा महानिदेशालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों से जो परिणाम हासिल हुये हैं, वे ज्यादा सटीक और भरोसेमंद हैं।
सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन और डिफ्रेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया है। ड्रोन और उपग्रह इमेजरी आधारित सर्वेक्षण भी किये गये, ताकि सटीक और समय पर नतीजे मिल सकें।
सिंह ने सर्वेक्षण और जमीन के दस्तावेजों के महžव को रेखांकित करते हुये कहा कि ये सब किसी इलाके, राज्य या देश के विकास की बुनियाद होते हैं।
उन्होंने कहा, "पिछले 200-300 वर्षों में सर्वेक्षण के ज्ञान ने उन लोगों की यात्राओं में महžवपूर्ण भूमिका निभाई है, जो लोग दुनिया भर में अपना दबदबा कायम करने निकले थे। इसलिये यह हमारे लिये बहुत संतोष और हर्ष का विषय है कि आज हमारा देश आधुनिक पद्धतियों से जमीनी सर्वेक्षण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो रक्षा जमीनों तथा छावनी इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।"
रक्षामंत्री ने देश के सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक विकास में छावनी इलाकों की महžवपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "आज, जब सरकार रक्षा जमीनों की चारदीवारी बनाने के लिये बजट में 173 करोड़ रुपये का प्रावधान कर रही है, तो इसका अर्थ सिर्फ वित्तीय अनुदान नहीं है, बल्कि यह छावनी इलाकों को बचाने और उन्हें विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता का परिचायक भी है। इस संदर्भ में यह सर्वेक्षण बहुत महžवपूर्ण हो जाता है।"


