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युवा शक्ति को राजीव गांधी ने पहचाना था : अजय सिंह

मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए सोमवार को अपने ब्लॉग में लिखा कि 'युवा शक्ति को राजीव गांधी ने ही पहचाना था

युवा शक्ति को राजीव गांधी ने पहचाना था : अजय सिंह
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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए सोमवार को अपने ब्लॉग में लिखा कि 'युवा शक्ति को राजीव गांधी ने ही पहचाना था, यही कारण था कि उन्होंने युवाओं के हाथों में दो अस्त्र मताधिकार (18 वर्ष) और कम्प्यूटर सौंपे थे।' सिंह ने अपने ब्लॉग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि पूरे देश में इस बात की चर्चा कभी नहीं हुई कि मोदी ने कश्मीर में जिस सुरंग का उद्घाटन किया या असम में सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया वह यूपीए सरकार की देन थी। इनके पास तो सिर्फ प्रचार का ही खेल है और झूठ बोलने की बेशर्मी भी।

सिंह ने आगे लिखा कि युवा शक्ति की जरूरत को राजीव गांधी ने महसूस किया था, इसलिए उन्होंने दो अस्त्र युवाओं के हाथों में सौंपे थे। एक, 18 वर्ष में मताधिकार का और दूसरा, कम्प्यूटर। आज घर में रहकर भी रोजगार के साथ जो युवा जी रहा है, खा रहा है, सो रहा है तो यह चमत्कार राजीव गांधी ने कर दिखाया था। जिस डिजिटल इंडिया की बात आज की जा रही है, वह राजीव गांधी ने कब का बना दिया था।

उन्होंने आगे लिखा कि दूसरा अस्त्र था वोट देने का। युवा कैसा भारत चाहता है, उसके सपनों का भारत बने, इसलिए वह सरकार बनाने में शामिल हो। यह ऐतिहासिक क्रांतिकारी निर्णय राजीव गांधी ने लिया था। वास्तव में देखा जाए तो उन्होंने यह समझा था कि किन लोगों को सशक्त किया जाना चाहिए, जिससे भारत का नव-निर्माण हो। उन्होंने इसे पहचाना और उन्हें अधिकार दिए।

अजय सिंह ने लिखा, "इतना ही नहीं, राजीव गांधी ने युवाओं के बाद वे ग्रामीण क्षेत्रों में ध्यान लगाया और गांव तथा उनको संचालित करने वाली एजेंसी को अधिकार संपन्न बनाया। भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के साथ उन्होंने पूरे भारत वर्ष में पंचायत राज संगठन को ताकत दी। इससे एक नेतृत्व की नई पीढ़ी ने भारत के विकास में योगदान देना शुरू किया।"

उन्होंने अंत में लिखा, "आज अगर हम गांव-गांव में विकास की जो तस्वीर देख रहे हैं, उसका रंग और तूलिका राजीवजी ने ही गांव वालों के हाथों में सौंपी थी। दूरदर्शन, जिसने पूरी दुनिया को हमारे सामने रख दिया, यह इंदिराजी की देन थी लेकिन इसके पीछे की सोच राजीवजी की ही थी, जो उन दिनों उनके साथ काम कर रहे थे।"

राजीव गांधी 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुं बुदूर में चुनावी सभा के दौरान लिट्टे के महिला आत्मघाती दस्ते के हमले में अपनी मां इंदिरा की तरह देश की खातिर शहीद हो गए थे।


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