राजिम : पोस्टिंग के लिए भटक रही है ट्रेनिंग लिए एएनएम महिलाएं
जिले की कई ऐसी महिलाएं हैं, जो दो साल के टेऊनिंग लेने के बाद एएनएम पोस्टिंग के दर-दर की ठोकरें खाते हुए भटक रही हैं

राजिम। जिले की कई ऐसी महिलाएं हैं, जो दो साल के टेऊनिंग लेने के बाद एएनएम पोस्टिंग के दर-दर की ठोकरें खाते हुए भटक रही हैं।
महिलाएं 2016 में धमतरी और महासमुंद में शासन के विज्ञापन के तहत एएनएम के लिए ट्रेनिंग ली है। इन्हें ट्रेनिंग के दौरान बाकायदा 15 सौ रुपए का मानदेय भी मिला है।
ट्रेनिंग पूरा होने के बाद प्रमाण पत्र और डिप्लोमा का सर्टिफिकेट भी विभाग की ओर से दिया गया है। जानकारी के मुताबिक राज्य के पूरे 27 जिले में करीबन एक हजार महिलाएं एएनएम का ट्रेनिंग ली।
इनमें से अधिकतर महिलाओं की पोस्टिंग संबंधित जिलों में हो गई है। परंतु गरियाबंद जिला इससे अछूता रह गया है।
ट्रेनिंग लिए महिलाओं में जेंजरा की ऐनू साहू, सुरसाबांधा की प्रेमलता साहू, तर्रा की उमा साहू, ऊषा साहू, हथखोज की लता साहू, परसदा की सत्यवती सेन सहित कई महिलाएं हैैं। जिन्हें आज तारीख तक पोस्टिंग नहीं मिल पाई है।
इस पोस्टिंग के लिए राज्य के डॉ रमन सिंह सरकार के दौरान ये महिलाएं सीएम जनदर्शन से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय उच्च अफसरों का कई बार ध्यान आकर्षित किया, परंतु किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
सरकार बदल गई है, लिहाजा ट्रेनिंग लिए इन महिलाओं को बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा है कि राज्य की नई सरकार इनकी पीड़ा और मजबूरी को समझते हुए यथाशीघ्र नियुक्ति देगी।
ये महिलाएं यह कहने से भी नहीं हिचकती कि पोस्टिंग चाहे जहां भी दे, वे जाने के लिए तैयार हैं।
पूरे दो बरस 40 के ग्रुप में धमतरी स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र 15 सौ रुपए के मानदेय पर बहुत मशक्कत और कड़ी मेहनत के बाद ट्रेनिंग लिए थे।
टेऊनिंग के दौरान दूर-दराज की गांव में रहने वाली महिलाएं अपने घर-परिवार से भी जुदा रही। अब सर्टिफिकेट लेकर वे कभी इस दरवाजे में जा रहे है, तो कभी उस दरवाजे में।
महिलाओं को सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के ऊपर पूरा विश्वास है कि ये न्याय जरूर करेंगे।


