शाही स्नान के साथ राजिम महाकुंभ का समापन
राजिम ! महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आस्था और श्रद्धा का सुमन चढ़ाने भीड़ की परवाह किए बगैर भगवान शिव के भक्त तडक़े 3 बजे से संगम में डुबकी लगाकर भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर पहुंचे।

राजिम ! महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आस्था और श्रद्धा का सुमन चढ़ाने भीड़ की परवाह किए बगैर भगवान शिव के भक्त तडक़े 3 बजे से संगम में डुबकी लगाकर भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर पहुंचे। हिन्दु धर्म के अनुसार इस पवित्र स्रान को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। संगम में स्रान करने प्रातरू से ही लाखों की संख्या में दूधमुंहे बच्चों के साथ माताएं तो पहुंची ही थी, बल्कि 75 से 80 साल के बुजुर्गों को भी डुबकी लगाते देखा गया है। इस अखबार की टीम पूरी रात जगकर यह अवलोकन कर रही थी कि इस बार शिवरात्रि में श्रद्धालुओं की श्रद्धा किस सीमा को पार करती है? पैरी, सोढुर और महानदी की धार में चौतरफा नहाने वालों की भीड़ देखी गई है। नहाने के बाद सीधे भोलेनाथ कुलेश्वर महादेव के दरबार में दर्शन करने लंबी लाईन लगनी शुरू हो गई। लाईन में जो पहले खड़े हुए, वे पहले दर्शन किए। यह सिलसिला सुबह 4 बजे से लेकर शुक्रवार का पूरा दिन बल्कि रात के 12 बजे तक चलता रहा। कई वर्षों बाद भक्तों का उमड़ा सैलाब इस तरह से देखने को मिला है। श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर और श्री राजीव लोचन मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया था। देर रात समाचार लिखे जाने तक किसी भी तरह के अप्रिय वारदात, घटना-दुर्घटना की खबर नहीं है। धर्म के प्रति आस्था का जुनून वैसे गुरूवार की आधी रात से ही देखने को मिल रहा था। नदी क्षेत्र में भीड़ को देखते हुए यह अनुमान लगाना मुश्किल का काम रहा कि आखिर कितने लाख श्रद्धालु यहां शिवरात्रि स्रान के लिए पहुंचे थे? कुलेश्वर मंदिर की बात करें, तो दर्शन के लिए वैसे हर भक्तों को दो से लेकर छह घण्टे तक का इंतजार करते हुए धीरे-धीरे चलकर मंदिर के सीढिय़ों तक पहुंचने में लगा है। मशक्कत छह घंटे का और दर्शन-पूजा का समय मात्र 5 से 10 सेकण्ड तक ही मिल रहा था। यह स्वाभाविक भी था। चूंकि पीछे में लाईन खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था। इन भक्तों में कई ऐसे भी थे जो बीच में हिम्मत हार कर मंदिर के चबूतरे को ही प्रणाम कर अपने आप को धन्य मान रहे थे। अनेकों महिलाएं और युवतियां ऐसी रही, जो कठोर बनकर मोर्चे पर लाईन में डटी रही और जब तक भोलेनाथ का दर्शन नहीं कर ली, तब तक मुंह में पानी की एक बूंद भी नहीं डाली।
रेत का शिवलिंग दीपदान भी
महाशिवरात्रि पर्व में नहाने के बाद दीपदान करने की परंपरा भी हजारों साल पहले से चली आ रही है। इस परंपरा और श्रद्धा का निर्वहन भी युवतियों-महिलाओं को करते देखा गया है। नदी की हल्की धार में दोने में रखा दीपक की लौ किसी जुगनू की भांति चमकते रहा। महिलाओं ने रेत का शिवलिंग बना कर बहुत ही श्रद्धा के साथ बेल पत्ता, धतुरा के फूल चढ़ाकर आरती भी की। नदी की रेत में दर्जनों जगह अपने मासूमों का मुंडन संस्कार भी इस अवसर पर लोगों ने कराया है। कुलेश्वर मंदिर क्षेत्र में जगह-जगह पंडितों का कैम्प भी लगा हुआ था, जहां भगवान श्री सत्यनारायण और शिवजी की कथा श्रद्धालुजन अपने शक्ति सामथ्र्य के मुताबिक करा रहे थे। एक तरफ मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ बनी रही, दूसरी तरफ श्री राजीव लोचन मंदिर से लेकर कुलेश्वर मंदिर तक के काफी चौड़ी सडक़ों पर बेतहाशा भीड़ देखी गई।
भीड़ बेतहाशा
बाप रे इतनी भीड़, इतनी भीड़ तो आज से पहले कभी नहीं देखी। यह आवाज मेले में आए लगभग प्रत्येक व्यक्तियों के मुंह से निकल रही थी। मेले के प्रारंभिक दिनों में भीड़ न देखकर लोग बहुत कुछ बोलने लगे थे, परंतु पूरे पंद्रह दिनों के मेले की कसर को महाशिवरात्रि पर्व की एक ही दिन की भीड़ ने पूरी कर दी। नदी क्षेत्र का पूरा 10 किमी का दायरा मेला मैदान मीना बाजार, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक से लेकर पं. श्यामाचरण शुक्ल चौक, पं. जवाहर लाल नेहरू पुल, व्हीआईपी मार्ग, मैडम चौक, इंदिरा मार्केट, चंपारण तिराहा, नवापारा बस स्टैण्ड से लेकर गंज रोड, सोमवारी बाजार, बेलाही घाट पुल से लोमष ऋषि आश्रम यानि हर तरफ बेकाबू भीड़ न केवल देर रात तक बनी रही, बल्कि घण्टों तक कई मार्ग गाडिय़ों के रेलम-पेल के चलते जाम रहा। चंपारण तिराहे पर ड्यूटी में तैनात बाहर से आए टीआई और पुलिस के कुछ रंगरूट बदतमीजी पर उतर आए थे। जिनके कारण माहौल काफी गर्म हो गया था। वहीं मेले के भीतर राईस मिल एसोसिएशन द्वारा चलाए जा रहे भंडारे के पास नवापारा के युवक जयकांत बावरिया दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे, जिन्हें उठाने के लिए उनका भाई नरेन्द्र बावरिया घटना स्थल पहुंचना चाह रहे थे, उसे भी पुलिस वालों ने जाने नहीं दिया। कुछ लोग तो यह कहने को भी विवश हो गए थे कि आज के बाद अब राजिम कुंभ में नहीं आएंगे। विदित हो कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर नगर सहित अंचल वासियों ने जो भीड़ आज देखी, इसके पूर्व उन्होंने विगत कई वर्षों में ऐसी भीड़ नहीं देखी थी। संगम के मध्य बनी अस्थायी सडक़ों पर मोटर सायकल ले जाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल का काम था। संगम के तीनों ओर बने स्थायी पुल में भी ट्रेफिक जाम की स्थिति बनती-बिगड़ती रही। जबकि कुंभ स्थल के चारों ओर आवागमन के मार्ग पर गाडिय़ों को रोक दी गई थी एवं इसी बीच अनेक स्थानों पर अस्थायी पार्किंग की भी व्यवस्था करनी पड़ी।
इसके बाद भी पहली बार ऐसा देखने को मिला कि पुलिस यातायात व्यवस्था संभालने में असफल रही। इस दौरान राजिम एवं नवापारा शहर के कई किलोमीटर के दायरे तक जाम की स्थिति बनी रही। भीड़ को नियंत्रित करने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात जरूर था, मगर पुलिस वाले ही व्यवस्था को मानो बिगाडऩे में तुले हुए थे। मैडम चौक में पुलिस के लोग श्रद्धालुओं पर लाठी बरसाने से भी नहीं चूके। कुल मिलाकर मेले में पुलिस की दादागिरी एक बार फिर सभी ने देखा है।


