राजिम कुंभ शास्त्रीय है : जगतगुरु रामभद्राचार्य
जगतगुरु पद्मविभूषण रामभद्राचर्या जी महाराज ने आज राजिम कुंभ के मुख्य मंच से उपस्थित हज़ारों श्रद्धालुओं को राजिम कुंभ की महिमा से अवगत कराया

रायपुर। जगतगुरु पद्मविभूषण रामभद्राचर्या जी महाराज ने आज राजिम कुंभ के मुख्य मंच से उपस्थित हज़ारों श्रद्धालुओं को राजिम कुंभ की महिमा से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ शास्त्रीय है।
इसे लेकर किसी तरह का कोई संदेह नही होना चाहिए। महाराज श्री ने बताया कि धर्मग्रंथों के डेढ़ लाख से ज्यादा श्लोक उन्हें कंठस्थ है। इसलिए उन्होंने दावे से कहा कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी से लेकर प्रभु राम के वनगमन तक की इस क्षेत्र से जुड़ी कथाये श्लोको के रूप में प्रमाणित है।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों में 5वे कुंभ का भी उल्लेख है। धर्मग्रंथों में इस क्षेत्र का बखान किया गया है। अब तक इस क्षेत्र की महिमा दुनिया से छिपी रही पर अब सब इसके प्रताप को जानने लगे है। महाराज श्री ने कहा कि भगवान राजीव लोचन की नगरी राजिम ऐतिहासिक नगरी है। राजीव लोचन, प्रभु राम का ही नाम है। वनगमन के समय असुरों को देखकर यही उनकी आंखें लाल हुई थी। इसीलिए राजीव लोचन नाम दिया गया।
विरोध कुछ लोगों के डीएनए में- रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि धर्म-कर्म के अच्छे कामों को भी कुछ लोगों का विरोध झेलना पड़ता है। ये ऐसे लोग है जिनके डीएनए में ही विरोध है। ऐसे लोग धर्म का विरोध, हिंदुत्व का विरोध,राष्ट्र का विरोध तक कर जाते है। परंतु इनकी परवाह किये बगैर सदकर्म करते रहने चाहिए।
अयोध्या के रामलला मंदिर के दिये शास्त्रार्थ प्रमाण- रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि वे वशिष्ठ कुल के है। उनके पूर्वज राजा दशरथ के शासनकाल से राजगुरु थे। उस कुल का हमने नमक खाया है। ऐसे में रामलला की जन्मभूमि को लेकर हुए विवाद का समाधान करना हमारा कर्तव्य है। इसीलिए न्यायालय में शास्त्रगत प्रमाण मैंने दिए। जिसमे से एक चौथाई प्रमाण को न्यायालय ने स्वीकार किया है। आज विवाद जन्मभूमि का नही अपितु जमीन का है।
राम का अर्थ राष्ट्र का मंगल करने वाला- महाराज श्री ने कहा कि राम ही के पद चिन्हों पर चलकर ही राष्ट्र का मंगल हो सकता है। राम राज की परिकल्पना भी यही है। रा से राष्ट्र और म से मंगल है। यही देश की समृद्धि का सूत्र है।
ओम शांति नही ओम क्रांति का करें पाठ- रामभद्राचर्या जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के भूमि पर असुर रूपी शक्तियां नक्सलवादी बनकर गलत कर्म कर रहे है। ऐसे में हमें अब ओम शांति का जप त्यागकर ओम क्रांति का का पाठ करना चाहिए।ताकि दुष्ठों का अंत किया जा सके।


