हत्याकांड में राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सज़ा
बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में मृतका के पति राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है
देहरादून। बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में मृतका के पति राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है। स्थानीय अदालत में गुलाटी को कल अपनी पत्नी की जघन्य हत्या के दिये दोषी करार दिया था। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजी) पंचम विनोद कुमार की अदालत ने आज राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। सजा के एलान से पहले दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे।
बचाव पक्ष ने इसे जघन्य अपराध बताते हुए दोषी को आजीवन कारावास की अपील की जबकि सरकारी वकील ने जघन्यतम से भी ज्यादा क्रूर बताते हुए फांसी की सजा का अनुरोध किया। सरकारी वकील ने कहा कि यह मामला पूरे देश में अपनी तरह की इकलौता मामला है। हत्यारे ने घर में पत्नी की हत्या करके शव के टुकड़े किए। न्यायाधीश ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गौरतलब है कि सात साल पहले पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी की पत्नी अनुपमा 17 अक्टूबर 2010 को अचानक लापता हो गई। मृतका के भाई ने अपनी बहन की तलाश शुरू की तो खुलासा हुआ कि राजेश ने पत्नी की हत्या कर दी थी।
हत्या के बाद वह दो महीने तक शव के साथ रहा। उसने शव के टुकड़े किए, शव के कुछ हिस्से फ्रीजर में रख दिये तथा कुछ जंगल में फेंक दिये थे। इस घटना का 11 दिसंबर, 2010 को पता चला। राजेश कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर में रहता था। अनुपमा के बच्चे जब भी पिता से अपनी मां के बारे में पूछते तो वह यह कहकर बच्चों को फुसलाता रहा कि उनकी मां नाना-नानी के घर गई हुई है। करीब दो माह तक ऐसे ही चलता रहा।
इस दौरान मायके पक्ष के लोगों का अनुपमा से संपर्क नहीं हुआ तो 11 दिसंबर 2010 को अनुपमा का भाई राजेश के प्रकाशनगर स्थित आवास पर पहुंचा, मगर उसे घर में नहीं घुसने दिया गया। यह सूचना उसने पुलिस को दी। पुलिस ने घर की तलाशी ली तो एक कमरे में रखे फ्रीजर से मांस के लाेथड़े मिले। चार माह की छानबीन के बाद 10 मार्च 2011 को कैंट पुलिस ने राजेश को हत्या का आरोपी बताते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया।
आरोप पत्र में पुलिस ने बताया कि अनुपमा और राजेश में अक्सर झगड़ा होता था तथा 17 अक्टूबर 2010 की रात भी दोनों में मारपीट हुई। इस दौरान अनुपमा के सिर पर पलंग का कोना लग गया और वह बेहोश हो गई। इसके बाद राजेश ने मुंह पर तकिया रखकर उसकी हत्या कर दी। अगले दिन राजेश ने बाजार से 20 हजार रुपये में फ्रीजर खरीदा और लाश उसमें छुपा दी। जब खून जम गया तो राजेश ने बाजार से पत्थर काटने वाला ग्राइंडर और आरी खरीदकर उनसे लाश के टुकड़े-टुकड़े किए। लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसने तीन बार में कुछ टुकड़े पॉलीथिन में भर के मसूरी में पहाड़ी से नीचे फेंके।
वह धीरे-धीरे यह कार्य कर रहा था ताकि किसी को शक न हो, मगर इसी बीच उसका भेद खुद गया। इस मामले की सुनवाई 18 अगस्त को पूरी हो गई थी और फैसला 31 अगस्त को सुरक्षित रखा गया। अदालत ने कल राजेश को धारा 302 हत्या और 201 सबूत मिटाने का दोषी करार दिया। अदालत ने मृतका के दो नाबालिग बच्चों की गवाही को अमान्य कर दिया, किन्तु इस दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश और अपने बयान से पलटे दो गवाहों के बयानों को अपने फैसले का आधार बनाया।


