राजेंद्र प्रसाद को उचित सम्मान नहीं मिला : रविशंकर
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की सादगी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह राष्ट्र के उन नायकों में से एक हैं

नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की सादगी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह राष्ट्र के उन नायकों में से एक हैं, जिनके योगदान को उस तरह से मान्यता नहीं मिली जैसी मिलनी चाहिए थी।
श्री प्रसाद ने यहां दिवंगत राजेंद्र प्रसाद की 135वीं जयंती के मौके पर आयोजित समारोह में इस बात का खुलासा किया। डॉ राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व की सादगी पर प्रकाश डालते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वह एक साधारण परिवार से आने के बावजूद प्रतिभा और योग्यता के धनी व्यक्ति थे। डा. प्रसाद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिर्फ एक आह्वान पर अपने कैरियर को छोड़ दिया जब वह केवल 20 वर्ष के थे और आगे के लिए उनके पास बहुत ही आशाजनक कैरियर था।
श्री प्रसाद ने कहा कि पहले राष्ट्रपति एक शानदार अधिवक्ता थे और देश के प्रमुख वकील रहे। उन्होंने देश और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपना कैरियर तक दांव पर लगा दिया था।
केंद्रीय मंत्री ने डाॅ. प्रसाद की सादगी की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद वह अपने गांव में स्थित घर पर लौटे, जिसमें केवल दो कमरे थे और एक समुचित छत तक नहीं थी।
कानून मंत्री ने डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में काफी योगदान दिया। उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती को राष्ट्रीय ज्ञान दिवस के रूप में मनाने के विचार का भी समर्थन किया।
गौरतलब है कि ‘इंडिया पॉजिटिव’ ने सरकार से प्रथम राष्ट्रपति की जयंती को राष्ट्रीय ज्ञान दिवस घोषित करने की अपील की है, जो उनकी ओर से किए गए हस्ताक्षर अभियान द्वारा भी समर्थित है।


