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राजस्थान सरकार का प्रयोग ‘गौरक्षक पुलिस चौकी’

पहलू खान, उमर और फिर तालीम। ये तीन ऐसे हैं, जिनकी हत्या गाय के कारण हुई। पहलू खान की हत्या भीड़ ने पीट-पीटकर की, उमर की गोली मारकर और तालीम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया

राजस्थान सरकार का प्रयोग ‘गौरक्षक पुलिस चौकी’
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- भारत शर्मा

नई दिल्ली। पहलू खान, उमर और फिर तालीम। ये तीन ऐसे हैं, जिनकी हत्या गाय के कारण हुई। पहलू खान की हत्या भीड़ ने पीट-पीटकर की, उमर की गोली मारकर और तालीम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। इन तीनों में एक समानता यह भी है, कि पुलिस की निगाह में तीनों गौ तस्कर हैं और तीनों की मौत अलवर में हुई है। पहलू खान ने जयपुर से गाय खरीदी थी, उसके पास रसीद भी थी, फिर भी वह तस्कर था, क्योंकि उसके पास वह जिलाधीश कार्यालय की वह रसीद नहीं थी, जो दूसरे राज्य में गाय ले जाने के लिए जरुरी था।

अलवर के जिला कलेक्टर राजन विशाल बताते हैं, कि राजस्थान सरकार का 1950 का कानून है, जिसे 1995 में रिवाइज किया गया, इसके अनुसार जिलाधीश से अनुमति लेना जरुरी है। 2015 में इस कानून में ऊंट को भी शामिल कर लिया गया। हालांकि इस कानून की जानकारी भरतपुर के पहाड़ी तहसील के एसडीएम को भी नहीं थी, तब किसानों को होगी, यह उम्मीद करना बेमानी है।

हालांकि उमर के परिजन भी यही करते हैं, कि वह गाय खरीद कर ला रहा था, पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश इससे इनकार करते हैं, हालांकि वे यह अवश्य बोले, कि कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। उमर की मौत में जिन लोगों को पकड़ा गया है, वे सभी 8 लोग गुर्जर समुदाय के हैं, यह समाज भी पशुपालक है और जानवरों के अवैध कारोबार में लगा रहता है। उमर मोवात के जिस इलाके का रहने वाला है, वह विकास से कोसों दूर है, पूरा समाज आर्थिक रुप से कमजोर है।

उमर के गांव घटमीका में मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने बताया, कि गरीबी के कारण इस इलाके के लोग उन लोगों के हाथ की कठपुतली बन जाते हैं, जो जानवरों के अवैध कारोबार में लगे रहते हैं। अलवर पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश खुद इस बात को स्वीकार करते हैं, कि उमर जैसे लोग केवल जानवर भरने जाते हैं उन्हें इसके लिए एक दिन में 350 से 500 रुपए तक मिल जाते हैं। राजस्थान के उन इलाकों में जो हरियाणा के मेवात से जुड़े हैं, यहां पुलिस ने गौरक्षक पुलिस चौकियां खोल रखी हैं, अलवर और भरतपुर में 6-6 ऐसी चौकियां हैं।

राहुल प्रकाश के अनुसार इन चौकियों का काम गौ तस्करी रोकना है, उनके अनुसार नूह और फतेहपुर झिकरी में काफी अवैध कत्लखाने चल रहे हैं। इन गायों को वहां ले जाकर काटा जाता है, यह अलग बात है, कि हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है और यहां अवैध कत्लखानों का कोई बड़ा खुलासा हुआ हो, इसकी जानकारी नहीं है। अलवर की माकपा नेता रईसा बताती हैं, कि यहां बड़ा बड़बड़ झाला है, गौ रक्षक की सस्ती गाय इन किसानों को बेचते हैं और फिर पुलिस को खबर दे देते हैं। बहरहाल सरकार के पास तस्करी रोकने के लिए तो गौरक्षक पुलिस चौकी हैं, पर आवारा घूम रही गाय को लेकर भी सरकार के पास कोई योजना है क्या? इसका जबाव जिला कलेक्टर ‘ना’ में देते हैं।


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